जागु : राखी ओर खुशी


राखी का दिन।
भाई और बहन के प्यार का दिन।
बहन भाई की रक्षा के लिए उसे रक्षा कवच बांधती हैं। भाई प्यार से बहन को सन्मान देता हैं। जो भी हो,बहन है तो भाई का जैसे साथ हैं, सहयोग हैं। मेरी बहन पढ़ाई में बहोत तेज थी। नया सीखने में तेज मेरी जागु मुजे समजाने में बहोत सहज हैं। वो कोई भी बात मुजे पूछ सकती है सवाल कर सकती हैं। सवाल वो ही करते हैं जो प्यार करते हैं। वो भी मुजे बेतहाशा प्यार करती हैं। इस रक्षाबंधन के दिन मेने राखी बंधवाई। मेरी भाभी मुजे भी राखी बांधती हैं। मेरे मातृछाया ओर जादूगर के आश्रमघर की सारी बेटियों ने राखी बांधी।
जिससे जो बन पड़ता हैं, बहन को देता हैं। राखी के दिन भाई बहन को देता हैं।मेने दिया मगर इस बार जागु ने लिया नहीं। इस बार उसने कुछ प्यार से मांगा। उसने मुझसे प्यार से जो मांगा हैं वो देनेके लिए मेने सहमति दिखाई हैं।मेने उसे ऐसा ही करने के लिए हां कहा हैं। उसकी खुशी से अधिक मेरे लिए कुछ नहीं हैं।

उसने जो चाहा हैं वैसा ही होगा। क्यो की वो मेरी एकलौती बहन हैं। अगर देखा जाए तो उसने जो मांगा हैं, मेरी ओर मेरे परिवार के लिए खुशी से जुड़ा हैं। उसने बोला ओर आदेशित भी किया हैं।उसकी ओर 'मातृछाया' की खुशी की लिए उसकी बोली हुई बात को मानूँगा ओर आदेश का अमल भी करूँगा।

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अगर बहन राखी के दिन खाली हाथों से भाई भेजता हैं तो वो भाई    नहीं हैं।

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