मोदीजी ओर स्थानीय मीडिया
में ज्यादा तर गुजराती ओर हिन्दीमे लिखता हूँ। मुजे पढ़ने वाले गुजरात के बहार से भी हैं। मुजे ये कुछ सालों पहले मालूम पड़ा कि मुजे हिंदी में लिखना चाहिए।क्योंकि ज्यादा पढ़ने वाले लोग हिंदी में हैं। में भी प्रयत्न करूँगा की अच्छे से हिंदी लिखू। मेरी लिखने की बात इस लिए आई हैं क्यो की आज मेने एक news देखे।
हमारे प्रधानमंत्री अंग्रेजी अखबार के प्रतिनिधि को अब नहीं मिल रहे हैं। क्यो की मोदी जी मानते हैं कि स्थानीय मीडिया प्रभावक हैं। सोसियल मीडिया पर तो मोदीजी सीधे आगे निकलते हैं। मगर अखबारों के लिए वो स्थानिक अखबारों को ज्यादा तवज्जो देते हैं। करुणानिधि जी के देहांत पर मोदी तमिलनाडु गयेथे। अखबारों के 40 प्रतिनिधि को मोदीजी मीले थे। मगर राजकीय वार्ता नहीं कि, सिर्फ शुभेच्छा मुलाकात करके वो वापस आ गए। अंग्रेजी अखबार कितना बड़ा हो, एमजीआर जहाँ लोकल लेंग्वेज के अखबार पहुंचते हैं वहाँ अंग्रेजी अखबार नहीं पहुंचते हैं। अंग्रेजी अखबार से जो पार्टी लाइन को समझ सकते हैं वो तो सोसियल मीडिया से भी अवगत हैं। अब मीडिया को कौन समजाये की 2019 की नहीं 'मन की बात ' 2024 की तैयारी हैं।
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मोदी ने विकास पैदा किया।
अब विकास क्या करेगा? अरे, समजो। विकास जब 21 साल का होगा तो ही विकास के फल मिलेंगे। 4 साल का कोई लड़का दूसरा लड़का पैदा नहीं कर सकता।
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