सिकंदर कैसे मरा...


सिकंदर
सिर्फ नाम काफी हैं।
कहते हैं सिकंदर पूरी दुनिया जितने निकला था। वो आधे पहुंचा और कहीं पे उनका केम्प रुका था। यहाँ एक ज्योतिषी थे। बहोत मशहूर ज्योतिषी थे। वो हाथ देखकर सब कुछ ओर सच बता सकते थे।
सिकंदर ने उन्हें बुलाया। सन्मान के साथ उसे पूछा 'आप मुजे ये बताए कि मेरी मौत कब होगी।' उस ज्योतिषी ने देखा,सिकंदर का हाथ पकड़कर देखा। उसे सिकंदर कब और कैसे मरने वाले थे वो बता सकते थे। ज्योतिषी ने सोचा 'अगर मरने का समय और स्थान बताया तो सिकंदर उसे मार देता। ज्योतिषी ने उसे कहा ' आप की मोत तब होगी जब लोहे की धरती और सोने का आकाश होगा। ये सुनकर सिकंदर खुश हो गया। उस ने वजीर को कहा 'अब हम दुनिया जीत लेंगे। क्यो की धरती लोहे की ओर सूरज सूने का तो होगा नहीं।बस,क्या था सिकंदर ने अपने सैन्य को आगे बढ़ने के आदेश दिए। वो अपने काफिले के साथ फारस जा रहा था। उस वख्त के फारस को हम आज ईरान के नाम से पहचानते हैं। सिकंदर का काफल ईरान,अफगानिस्तान और बलोचिस्तान के रण को जोड़ने वाले विस्तार से आगे बढ़ रहे थे।रास्ते मे सिकंदर बीमार हुआ। उनके वैध भी उनके साथ थे। उनके वजीर भी सिकंदर की सेवा में थे। दिनबदिन सिकंदर की हालत बिगड़ती जा रही थी। सिकंदर को ठंडा बुखार याने मलेरिया हुआ था। अब सिकंदर घोड़े पे बैठ नहीं पाता था। वो अब पालखी में था। अब सिकंदर जैसे सिकुड़ गया था। उसने वजीर को कहा मुजे सीधा लेटना हैं। मुजे जमीन पे लेटाओ। वजीर के पास बिछाने के लिए कुछ नहीं था। उसने अपने सारे शस्त्र बिछाकर सिकंदर को लेटने के लिए जगा बनाई। सिकंदर उसपे लेता। कोई पेड़ तो था नहीं कि उनको छांव मिल पाए।बस,अब क्या था। सिकंदर के वजीर ने ढाल से उन के ऊपर सूरज की किरणें न आये वैसे पकड़ के रखा। सोने की ढाल को वजीर छाते की तरह पकड़ के रख था।
सिकंदर ने उनके वैध को कहा 'आप मुजे कुछ दिनों तक जिंदा रहने की औषध दिलवाए, में मेरी माँ के आंचल में मरना चाहता हु। वैध जी ने कहा 'में आप को एक भी सांस नहीं दे पाऊंगा। ये सुनकर वजीर रो रहा था। सिकंदर को वो आगाही याद आई जो ज्योतिषी ने कही थी। लोहे की जमीन और सोने का आकाश।सिकंदर को मालूम हो गया कि अब वो मरने वाला हैं। हमे ये तो मालूम हैं कि सिकंदर ने अपने हाथ खुल्ले रखने को कहा था। उन्हें दफनाते वख्त उनके हाथ खुल्ले छोड़े गए थे। सिकंदर ने कहा था कि मेरी दफन विधि में विश्व के सभी वैध ओर हकीमो को बुलाना जिससे सबको मालूम पड़े की सांस खरीदी नहीं जाती।
सिकंदर ने विश्व विजेता होने पर भी ऐसी हालत में मरता हैं, यही कुदरत का न्याय हैं।

@#@
जब आया था सिकंदर,
होन्सले तो आली थे।
जब गया था दुनिया से दोनों हाथ खाली थे।



जय हो...

Comments

Popular posts from this blog

ગમતી નિશાળ:અનોખી શાળા.

ન્યાયાધીશ અને માસ્તર

અશ્વત્થામા અને સંજય જોષી