शिक्षा जिन्हें नहीं मिलती...




आज कल on line शिक्षा की बात हो रही हैं।

जिन के घर में टेलीविजन नही है, उन के पास शायद मोबाइल हो ऐसा संभव हैं।इस संभावना के बीच एक बात ये है जिसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। आज अगर देखा जाए तो भारत मैं 20 करोड़ से अधिक टेलीविजन नही हैं। 2011 कि जन गणना को देखे तो एक टेलीविजन के पीछे 4 लोग होते हैं।20 करोड का मतलब है 80 करोड़ लोग इस से जुड़े हैं।

135 करोड़ से अधिक लोग हमारे देश में हैं। अब कोरोना के कारण विद्यालय बंध है,शिक्षा कार्य नहीं। इस का मतलब ये होता है कि शिक्षा का काम आजकल on line के माध्यम से होने लगा हैं। आज में क़ुछ पेरेंट्स के अनुभव आप से शेर कर रहा हूँ। जिस में ज़्यादातर दो बातें हैं। एक तो उन के सन्तान  मोबाइल में शिक्षा के बदले गेइम खेलते हैं।कुछ का कहना है कि नेट की कनेक्टिविटी की समस्या सामने आ रही हैं। अगर टेलीविजन या मोबाइल से पढ़ने की बात है तो एक बात सीधी दिखाई देती है कि, शहर में रहने वाले बच्चे टेलिविजन ओर नेट के माध्यम से आसानीसे जुड़ सकते हैं। वो पढ़ पाते है या पढ़ते है ऐसा कहना मुश्किल हैं।

सरकार द्वारा सीधी व्यवस्था कटने का भरपुर प्रयास हो रहा हैं। इसे ओर असरकारक तरीक़े से ओर कैसे अमली बनाया जा सकता है,वो सरकार के अलावा सभी की समस्या हैं। अगर आप के पास कोई सुजाव है तो आप इसे फैलाए।

कुछ स्थानों पर अध्यापक अपने तरीके से माइक्रोफोन एवँ अन्य नव विचार से आगे बढ़ रहे हैं। कुछ नया हो रहा हैं। इस के लिए कहना चाहिए कि वो प्रयत्न कर रहे हैं। परिणाम तो प्रयत्न के बाद कि व्यवस्था हैं। ।आशा है,इस वैश्विक महामारी के समय हम कुछ अभिनव कर पाएंगे।


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