पढ़े लिखो ने मजाक किया: गर्भवती हथनी की मौत


केरल,  शिक्षा  में समग्र देश में सबसे पहले नंबर पर आता हैं। अब सवाल ये हैं की क्या शिक्षा याने पढाई लिखाई और उस के ग्रेड को ही हम मानते हैं? केरल जैसे शिक्षित राज्य में एक गर्भवती हथिनी मल्लपुरम की सड़कों पर खाने की तलाश में निकलती है। क्यों की वहा अब जंगल ज्यादा नहीं हैं, n ही सर्कस के माध्यम से उन्हें खाने को मिल रहा हैं । समजिए की आज जो हालत गरीब एवं माध्यम वर्ग की है, वैसी ही हालत केरल में हाथियों की हैं । हमारी बात करे तो हम लोक डाउन के बाद शायद फंसे हुए हैं मगर ये हाथी जेसे विराट प्राणी तो जब से मेनका गाँधी ने सर्कस या खेल में प्राणियो के काम करने पर पाबंदी लगे हैं तबसे उन के यही हालत हैं । कुछ बेशर्म लोग गुमने गए थे, उन्हें एक भद्दा मजाक सुजा ।उन्होंने हथनी को  उसे अनन्नास ऑफर किया। वह हथनी उन मनुष्य पर भरोसा करके खा लेती है। वह नहीं जानती थी कि उसे पटाख़ों से भरा अनन्नास खिलाया जा रहा है। पटाख़े उसके मुँह में फटते हैं। उसका मुँह और जीभ बुरी तरह चोटिल हो जाते हैं।

बात यहाँ ख़त्म नहीं होती। 
अब हुआ ये की मुह में जख्म के कारण वो विवश थी । मुँह में हुए ज़ख्मों की वजह से वह कुछ खा नहीं पा रही थी। उस के पेट में एक बच्चा था। गर्भ के दौरान मनुष्भूय की भाति पशुओ को भी ज्खयादा खाना जरूरी हैं। उसे भूख अधिक लगती मगर मुह में पटाखे फूटने के कारण वो खा नहीं सकती थी। उस के लिए प्हैरवाही पीना भी संभव नहीं था।। उसे अपने पेट में पल रहे बच्चे का भी ख़याल रखना था। लेकिन मुँह में ज़ख्म की वजह से वह कुछ खा नहीं पाती है। घायल हथिनी भूख और दर्द से तड़पती हुई सड़कों पर भटकती रही। इसके बाद भी वह किसी भी मनुष्य को नुक़सान नहीं पहुँचाती है, कोई घर नहीं तोड़ती। पानी खोजते हुए वह नदी तक जा पहुँचती है। मुँह में जो आग महसूस हो रही होगी उसे बुझाने का यही उपाय उसे सूझा होगा। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को जब इस घटना के बारे में पता चलता है तो वे उसे पानी से बाहर लाने की कोशिश करते थे, लेकिन हथिनी को शायद समझ आ गया था कि उसका अंत निकट है। और कुछ घंटों बाद नदी में खड़े-खड़े ही उसने दम तोड़ दिया ।फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के जिस ऑफिसर के सामने यह घटना घटी उन्होंने दुःख और बेचैनी में इसके बारे में फेसबुक पर लिखा। जिसके बाद यह बात मीडिया में आई।  पढ़े-लिखे मनुष्यों की सारी मानवीयता क्या सिर्फ मनुष्य के लिए ही हैं? ख़ैर पूरी तरह तो मनुष्यों के लिए भी नहीं। हमारी प्रजाति में तो गर्भवती स्त्री को भी मार देना कोई नई बात नहीं। हम तो गर्भ में ही आने वाले जिव को मारकर अपने आप को सभी समजते हैं।

इन पढ़े-लिखे लोगों से बेहतर तो वे आदिवासी हैं जो जंगलों को बचाने के लिए अपनी जान लगा देते हैं। जंगलों से प्रेम करना जानते हैं। जानवरों से प्रेम करना जानते हैं।  वह ख़बर ज़्यादा पुरानी नहीं हुई है जब अमेज़न के जंगल जले। इन जंगलों में जाने कितने जीव मरे होंगे। ऑस्ट्रेलिया में हज़ारों ऊँट मार दिए गए, यह कहकर कि वे ज़्यादा पानी पीते हैं। कितने ही जानवर मनुष्य के स्वार्थ की भेंट चढ़ते हैं। और एक हम है जो बड़ी बड़ी बाते ही करते हैं।

भारत में हाथियों की कुल संख्या 20000 से 25000 के बीच है। भारतीय हाथी को विलुप्तप्राय जाति के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।फिर भी ऐसे समाचार आते रहते हैं। एक ऐसा जानवर जो किसी ज़माने में राजाओं की शान होता था आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। धरती का एक बुद्धिमान, समझदार याद्दाश्त में सबसे तेज़, तृणाहारी जीव, क्या बिगाड़ रहा है हमारा जो हम उसके साथ ऐसा सलूक कर रहे हैं? हम धर्म के नाम पर गणेश जी की पूजा करते हैं और कुछ लफंगे ऐसा क्र के धर्म, शिक्षा एवं संस्कार को पछाड़ने में जुड़े हैं।

कोरोना ऐसे ही कारणों से फेलता हैं। जब जब पर्कोयावरण में असंतुलन बढ़ेगा, ऐसी समस्याए  और वाइरस और शक्तिमान  होकर हमारे सामने आयेंगे, जिस से लड़ने के लिए n दवाई हैं,n हमारे पास कोई इलाज।कोरोना ने हम इंसानों का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया है। यह बता दिया है कि हमने प्रकृति के दोहन में हर सीमा हमने लाँघ दी है। लेकिन अब भी हमें अकल नहीं आई। हमारी क्रूरता नहीं गई। मनुष्य इस धरती का सबसे क्रूर और स्वार्थी प्राणी गोषित हो चूका है। दुआ है, यह हथिनी इन निकृष्ट मनुष्यों के बीच फिर कभी जन्म ना ले। उसे सद्गति प्राप्त हो कुछ लोग विज्ञान की पढ़ाई पर ज्यादा जोर देते है.. देखिए आज के आधुनिक पढ़ाई का नतीज़ा.।

अगर इसे कहा जाए तो ये जधन्य अपराध ही हैं,एक साथ दो जीवो की हत्या का आरोप लगाना चाहिए और उस व्यक्ति को पकड़कर उस के मुह में भी पटाखे डाले जाय। कहा गई मेनका गाँधी, जिन्हों ने सर्कस से पशु पंखी हटाने पर आन्दोलन किए और अधिनियम पारित करवाया। अब फारेस्ट डिपार्टमेंट एफ.आई.आर क्र चुके होंगे। कुच्छ दिनों बाद वो बन्दे पकडे नहीं जाने पर कोर्ट में समर्पण करेंगे। कोर्ट उन्हें जमानत देगी। जहांतक मेरी जानकारी हैं, राष्ट्रिय प्राणी या पक्षी को मारने की जो सजा है, उस से दुगनी सजा के वो नपुंसक हकदार हैं।हर छोटी बात पर, करोड़ पतिओ के कुत्तो के लिए ट्विट करने वाली मेनका जी कुछ बोली हो या हम कडक कदम उठाएंगे ऐसा सिर्फ बोली हो वैसा अभीतक मेरी जानकारी के लिए अभी किसी ने नहीं कहा हैं। क्या इस हथनी को मरने के बाद इंसाफ मिलेगा,या केरल सरकार साम्यवादी विचार से ही आगे देखेगी?
सवाल ये नहीं हैं की हथनी मर गई,या उस के पेट में एक बच्चा था। सवाल जरा उल्टा हैं, अगर ये हथनी ने शहर में आकर किसी की जान ली होती तो सरकार मुआब्ना देती क्यों की वो तो मतदार हैं। हाथी थोड़े मतदान करते हैं,
इसीलिए  कहा गया हैं की अक्षर ज्ञान  के साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी देना चाहिए। किसी नॅशनल न्यूज़ चेनल ने फटाफट न्यूज़ में इस समाचार को लिया हो और आप ने देखा हैं तो कहिएगा,उन्हें में धन्यवाद का मेल करना चाहूँगा। में ब्राह्मण हु, गणेश जी मेरे आराध्य हैं, में सभी जिव का सन्मान करता हु। कल डिजिटल जुम्बेश में मेने सिग्नेचर किए है की ह्थनी के दोषियों को सजा मिले। मगर यहा तो आज के महामारी के समय भी चेनलो में राजकीय लोग बताते हैं,क्या आज कल चेनल की डिबेट में स्वस्थ एवं वाइरस के जानकार होने चाहिए या केसरी,हरी,ब्लू और एनी रंग के सिम्बोल की पार्टी के प्रतिनिधि?आप भी आवश्यकता आने पर ऐसे लोगो को प्होक्तीद्वाने में मदद करे। आप कहेंगे हमारा क्या हैं? आप ने आप के आसपास कुत्ते या गधे की पूंछ पर पठाखे या डिब्बे बंधने वाले देखे होंगे। अगर ये अपराध हैं तो कुत्ते और गधो के लिए आवाज़ उठाने वाले और मुख्यत:मेनका गाँधी की हलचल का मुझे ख़ास इन्तजार रहेगा 

Comments

Nishita said…
#manekaGandhiWakeup

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