विश्व पर्यावरण दिवस
आज विश्व पर्यावरण दिवस हैं। पर्यावरण में असंतुलन हमे परेशानी और समस्या के साथ नई बीमारी के सामने खड़ा करता हैं।पर्यावरण का संरक्षण एवं संवर्धन हमे आगे का जीवन आसान कर के देता हैं। एक समय था जब हम कम जरूरत के साथ जीते थे। आज की लाइफ स्टाइल ऐसी हो गई है कि जिस में हम हर पल पर्यावरण को नुकशान पहुंचाते आ रहे हैं। और इसी बजह से जागृति के लिए सारे विश्व में इसे आज के दिन मनाया जाता हैं।
हमारा खाना,पीना और जीवन जरूरत की सारी चीजें हमे पर्यावरण से मिलती हैं। आप ने महसूस किया होगा की पिछले कुछ सालों से भूकंप के झटके ज्यादा हो रहे हैं। कितनी क्षमता वाला भूकंप है वो महत्व पूर्ण नहीं हैं। मगर भुस्तर शास्त्रीयो का कहना हैं की एक छोटा सा भूकंप पानी के स्तर को 80 से 100 फिट नीचे ले जाता हैं, अब सवाल ये है कि भूकंप आते क्यों हैं। इस का एक मात्र जवाब हैं पर्यावरण में अस्थिरता । अस्थिरता क्यों हैं? जवाब हैं हमारी बेदारकारी और पर्यावरण के प्रति हमारी जाग्रति का अभाव।
सो हमे आज के दिन प्रयत्न करना है कि हम कम से कम पर्यावरण को नुकशान करेंगे। आज के दिन मेरे और आप के द्वारा लिया गया संकल्प हमे आगे की जिंदगी में सुविधा एवं स्वास्थ्य प्रदान करेगा। गुजरात में वलसाड के हमारे साथी श्रीमती मीना पटेल ने आज के दिन के लिए एक कविता लिखी हैं,मीना जी सरकारी पाठशाला में अध्यापिका हैं । आप को अवश्य पसंद आएगी.
मीना पटेल की रचना
આજ કરો વાત,
વાયરા સંગે,
પાંચમી જૂન,
'પર્યાવરણ દિન ' ઉજવણી ની. ,
શાને જરૂર પડી ભાઈ ?
આપી ઈશ્વરે દુનિયા,
આપ્યા પ્રકૃતિ નાં 'ઋતુચક્ર ',
આપ્યો સજીવોના પોષણવૃદ્ધિ કરતો,
વાયુ હવા સ્વરૂપ.
પાણી નું બુંદ આપે છે જિંદગી,
જળ ન હોય તો ?
સળગી જાય દુનિયા જળ વગર.
સ્વાર્થી માણસે જરૂરિયાત પોષવા,
કર્યું ખંડન કુદરત નાં નિયમોનું.
સગવડતાની દોટ માં,
ભૂલ્યો માનવી બધું.
નદી -સમુદ્ર ને બનાવ્યા,
સાર્વજનિક ઉકરડા,
વૃક્ષ નું કર્યું પતન.
સાન ઠેકાણે લાવી ,
હવે સમજ્યો માનવી,
કુદરતી સંશાધનો,
કુદરતની અમૂલ્ય ભેટ.
હવે હર વર્ષે કરતો ઉજવણી,
પર્યાવરણ નાં પાપ ધોવા.... !
જોઈતું હોય જો જીવન બીજીવાર,
પ્રદુષણ મુક્ત રાખો પર્યાવરણ.
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