गांधी विचार: नारनभाई देसाई





महात्मा गांधी के निजी सचिव और जीवनी लेखक रहे महादेव भाई देसाई के पुत्र और सर्वोदयी नेता नारायण भाई देसाई को श्रद्धासुमन।

नारायणभाई को साहित्य अकादमी अवार्ड, जमनालाल बजाज अवार्ड, रामजीत राम स्वर्ण पदक व मूर्ति देवी अवार्ड से सम्मनित किया जा चुका है। देसाईजी ने गांधी जी पर 'मेरा जीवन ही मेरी वाणी' नाम से चार खंड पुस्तकें लिखी हैं। स्वतंत्रता सेनानी नवकृष्ण चौधरी और मालती देवी चौधरी की पुत्री उत्तारा चौधरी से नारायणभाई का विवाह हुआ।

पत्नी के साथ नारायण सूरत से 60 किलोमीटर दूर वेडछी गांव में आदिवासियों के बच्चों को पढ़ाने के लिए 'नई तालीम' स्कूल की स्थापना की।

नारायणभाई देसाई बचपन में खादी आंदोलन, विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से भी जुड़े रहे। सन 1959 में नारायणभाई ने भूमिपुत्र पत्रिका का संपादन भी किया। नारायण देसाई का जन्म 24 दिसंबर 1924 को गुजरात के बलसर में हुआ। नारायण महात्मा गांधी के साबरमति आश्रम अपने पिता के साथ रहकर पले। इसके साथ ही नारायण वर्धा के निकट सेवाग्राम स्थित गांधी आश्रम में भी रहे। नारायण ने बचपन में ही स्कूल जाना छोड़ दिया था। उन्होंने अपने पिता से आश्रम में ही शिक्षा प्राप्त की और अपने ज्ञान की काबेलयत से गुजरात विद्यापीठ के कुलपति बने।

महात्मा गांधी के जीवन और जीवन संदेश को कथामय रूप में सुनाने के लिए उन्होंने ‘गांधीकथा’ शरू की और जीवन भर सर्वव्यापी,सर्वकालिक और समदर्शी गाँधी विचार को ‘गांधीकथा’ कथा के माध्यम से जीवंत रखने योगदान देते रहे थे।

अपना तन, मन, धन और पूरा जीवन समाज के लिये समर्पित करने वाले प्रेरणादायी व्यक्तित्व नारायणभाई की आत्मा को सादर प्रणाम के साथ भाव पूर्ण श्रधांजलि।

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