पहले चुनाव की सबसे बड़ी समस्या




कुछ भी काम अगर करना हैं तो सामने सवाल भी बहोत सारे होंगे। आजकल चुनाव का माहौल हैं। आज हम EVM से चुनाव कर रहे हैं। आज से कुछ साल पहले विधानसभा ओर लोकसभा के चुनाव के दौरान मतपेटी का इस्तेमाल होता हैं। जो चुनाव बैलट से होते हैं।वो सारे मतदान पेटी में मत डालने से होता हैं।
भारत में लोकसभा का पहला चुनाव था। मुख्य चुनाव आयुक्त के सामने सवाल था की मतपेटी कैसी बने।दूसरा सवाल था की मतदान के बाद उसे कोई खोल न पाए ऐसी व्यवस्था भी चुनाव के लिए महत्वपूर्ण थी। चुनाव आयोग ने हर मत पेटी को ताला लगाने का फैसला किया था। अब होता यरे था की ताले से चुनाव आयोगका खर्च दुगना हो जाता था।1.96 लाख मतदान मथक के लिए 12 लाख 84 हजार मतदान पेटी बनानी थी। इसे बनाना था। कोई भी मेन्यूफेक्चरिग यूनिट चार महीनों में आए काम नहीं कर सकता था।

गुजरात के एक मजदूर जो मुम्बई में इसी यूनिट में काम कर रहे थे जिन्हें मतदान पेटी बनाने का मौका मिला था। ताला लगाने के खर्च के कारण चुनाव आयोग पीछे पड़ने की तैयारी में था। तब मूल गुजराती ओर महाराष्ट्र में कामर्थे पहुंचे नाथालाल पंचाल ने एक पेटी की डिजाइन बनाई। इस पेटी में 2 लोक ऐसे रखे जिन्हें लाख से सील करदिया जाता था। अगर कोई मतदान पेटी खोलता हैं तो उसे सबसे पहले सील तोड़ना पड़ता था।
इस रास्ते से हमारे देश को नाथालाल पंचाल के द्वारा बनाई गई मतपेटी से गफला न हो सके ऐसा चुनाव हो पाया। 82000 टन लोखंड से ये मतपेट तैयार होकर देश में पहुंचाई गई।
बगैर ताले के मतपेटी की ऐसी डिजाइन बनी जो आजतक चल रही हैं।


जय हिंद:


हर नेता,कार्यकर ओर राजनीतिक पार्टी को इस के बारे में समझना चाहिए। क्यो आज दिन उनका कही सन्मान नहीं सुना। विश्व में सबसे बडा लोकतंत्र होने के बावजूद लोकशाही को जीवंत बनाने वाले श्री नाथालाल पंचाल का पद्म श्री हो ऐसी नई आने वाली सरकार को प्रार्थना।

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