बर्ड फिडर में नवाचार
हरे रंग की प्लेट |
इनोवेशन क्या हैं।
इनोवेशन कैसे होते हैं।
मुजे अगर कुछ सोचना हैं तो किस ओर सोचु? आए और ऐसे अनेक सवाल होते हैं। ऐसे ही सवालों के लिए एक बात यहाँ में रखता हूँ।
संस्थान का नाम:
युवा ग्रीन फाउंडेशन,
खरसदा : महेसाणा
संस्थान का नाम:
कावेरी दे केर स्कूल, महेसाणा।
आप कहेंगे एक स्कूल और एक फाउंडेशन में क्या नवाचार हैं। बात ये हैं कि इन लोगोने पिछले साल 40.000 बर्ड फीडर दिए थे। उनकी लागत 38 रुपया थी,मगर वो सबको फ्री में दे रहे थे। अगर परिणाम लक्षी कार्यकर के लिए अगर कहे तो वो किये गए काम को पीछे मुड़कर देखते हैं। युवाग्रीन फाउंडेशन के सहयोगी एवं मार्गदर्शक श्री के.वी.पटेल ने इसे देखा। उनके लिए पिछले वर्ष के काम का परिणाम ओर गलतियां देखनेका यह समय था।उन्होंने देखा कि प्लास्टिक से बने पिछले साल का बर्ड फीडर थे वो 20%से ज्यादा लोगो के पास नहीं थे। वो टूट चुके थे या कुडे के समानमें थे। अब सवाल ये था कि प्लास्टिक के इस्तेमाल ओर डिजाइन के कारण अगर उसका उपयोग नहीं हो रहा हैं तो वो सिर्फ प्लास्टिक हैं।प्लास्टिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हैं। अगर ये पूरा प्लास्टिक स्पेरो या किसी पक्षी के लिए काममे नहीं हैं तो वो सिर्फ प्लास्टिक हैं। हर दाई में 70 ग्राम प्लास्टिक से बनी चीज। श्री के.वी.पटेल और KDS के डायरेक्टर श्रीमती जयश्रीजी पटेल ने साथ मिलकर सोचा। उन्होंने ऐसी डिजाइन के बारे में सोचा जो की एक्सट्रा प्लास्टिक का उपयोग हो और हमारी ओर से कमसे कम प्लास्टिक लगे। बस,क्या था। उन्हें ने एक ऐसा तरीका खोज लिया। उन्होंने इस साल के लिए जो मॉडल बनवाया उस में उन्होंने सिर्फ एक डिजाइन वाली प्लेट ही दी। उसमें दाने भरने के लिए बोटक व्यक्ति खुद की लगाएगा। उसका अर्थ ये हुआ की जितनी प्लेट वो देंगे,प्लास्टिक की उतनी बोटल स्थानीय प्रदूषण फैलाने से दूर रहेगी। उनका उपयोग पर्यावरण के प्रदूषण को कुछ हद तक बढने से रुकेगा।
इस विचार को आप सांजे ओर ऐसा कुछ नया करे। सिर्फ नया नहीं, पुराने विचार में भी कुछ हम नया सोचे तो हो सकता हैं।
जय हिंद:
श्री के.वी.पटेल को वर्ष 2017 में राष्टपति भवन में आयोजित FOIN में विशेष निमंत्रण प्राप्त करने वाले शिक्षक हैं।उन्हें सृष्टि पुरस्कार भी मिल चुका हैं। शिक्षा से जुड़े नवाचार के लिए वो अपनी पहचान के साथ काम कर रहे हैं।
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