दशरथ मांझी सलाम...सलाम...



दशरथ मांझी एक साहसी या बॉडी बिल्डर नहीं थे। वह भारत में एक मजदूर थे। मांझी की पत्नी को चिकित्सा सुविधा की कमी के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी क्योंकि निकटतम अस्पताल गाँव से 70 किमी दूर था। गांव और शहर के बीच एक पहाड़ था जिसकी वजह से लोगों को घूमकर जाना पड़ता था। इस हादसे के बाद मांझी नहीं चाहते थे कि कोई अन्य व्यक्ति भी इसी तरह के दुर्भाग्य का शिकार हो, इसलिए, उसने पहाड़ के बीच एक मार्ग बनाया, जो 9.1 मीटर चौड़ा, 7.6 मीटर गहरा और 110 मीटर लंबा था। मांझी ने ऐसा करने के लिए लगभग 22 वर्षों तक प्रत्येक दिन और रात काम किया और गया क्षेत्र के वजीरगंज और अत्री क्षेत्रों के बीच की दूरी 75 किमी से घटाकर 1 किमी कर दी।
ऐसे ही लोग होते हैं, जो अपने विचार को अमल करते समय और कुछ नहीं देखते या किसी की नहीं सुनते।भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सन्मानित किया हैं।

सरकुम:
मेने जो सोचा हैं,
में वो कर रहा हु।
जो मेने ख्वाब देखे हैं,
इस के लिए में जागता हूं।
मेने जो वचन दिए हैं, उसे में निभाता रहा हूँ। क्योकी मेरा मानना हैं कि में जिन के लिए भी जो कुछ करू उस में वो अपने नहीं मेरे नजरिये से देखे।

Comments

Jayesh Talati said…
Salute for Great deeds By Dashrathram Manji.....It's very deficult to do hard work continuesly without anykind of Motivation..

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