दांडी यात्रा का दिन...
दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है जो इसवीसन 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया गया सविनय कानून भंग कार्यक्रम था। ये ऐतिहासिक सत्याग्रह कार्यक्रम गाँधीजी समेत ७८ लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गाँव दांडी तक पैदल यात्रा करके १२ मार्च १९३० को नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून का भंग किया गया था। भारत में अंग्रेजों के शाशनकाल के समय नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया था और नमक जीवन जरूरी चीज होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलवाने हेतु ये सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियाँ खाई थी परंतु पीछे नहीं मुड़े थे।
==पूर्व भूमिका==सबको लाठी पड़ती थी एक गांधी को छोड़कर क्योंकि की जवाहर लाल नेहरू उस वक़्त के केजरीवाल थे अगर गांधी को कुछ हो जाता तो उनका पीएम का सपना चकनाचूर हो जाता 1930 को गाँधी जी ने इस आंदोलन का चालू किया। इस आंदोलन में लोगें ने गाँधी के साथ पैदल यात्रा की और जो नमक पर कर लगाया था। उसका विरोध किया । इस आंदोलन में कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जैसे-राजगोपालचारी,नहेरू, आदि। ये आंदोलन पूरे एक साल चला और 1931 को गांधी-इर्विन समझौते से खत्म हो गया।
सरकुम:
गांधी विचार में एक बात ये भी हैं कि सत्य को ही समजो,सत्य को अपनाओ ओर सत्य को ही कहा करो। जो में कर रहा हूँ।मेने सच को पकड़ा हैं, तब से में शांत हो पा रहा हूँ।
मेरा सत्य मेरी सरकार के लिए हैं।
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