मोगली की सच्ची कहानी...



 इन दिनों भारत मे नेटफ्लिक्स पर हिंदी रिलीज होने वाली फिल्म 'मोगली लेजेंड ऑफ द जंगल' की चर्चा जोरों पर है। हर कोई इसी बारे में बात करता नजर आ रहा है, सोशल मीडिया पर भी इस फ़िल्म की काफी हाइप बनी हुई है। और लोगों की उत्सुकता मोगली के बारे में जानने की काफी बढ़ चुकी है। और दोस्तो आज हम आपको बताएंगे कि असल में मोगली कौन था और कैसा दिखता था।

ये 1872 की बात है, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने गए हुए थे। वहां उन शिकारियों को भेड़ियों के एक झुंड के बीच इंसान जैसी एक आकृति दिखी। तो उन शिकारियों ने उन भेड़ियों की झुंड का पीछा किया और उनके गुफा में आग लगा दी और भेड़ियों को मार दिया और उस बच्चों को पकड़ लिया।

इसके बाद वो शिकारी उस बच्चे को एक अनाथालय ले गए, उस बच्चे का नाम दीना था। लेकिन वहां के लोगों ने उस बच्चे का नाम शनिचर रखा। उन्होंने उस बच्चे को इंसानो जैसी भासा सिखाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नही बोल पाया। और अगर कोई उससे बात करता तो वो हमेशा जानवरों जैसी ही आवाज़े निकालता था। ऐसा भी कहा जाता था कि वो बच्चा कई कार्यो में अविश्वसनीय ढंग से बल दिखता था।

वो बच्चा कई दशकों तक इंसानो के बीच रहा लेकिन वो कभी भी इंसानो की तरह बन नही पाया। उसे खाने में कच्चा मांस ही पसंद था, और वो शर्ट पैंट भी पसंद नही आता था। कहा जाता है कि इस बच्चे की ही कहानी से प्रेरित होकर ही रुडयार्ड किपलिंग ने मोगली की कहानी लिखी थी।


सरकुम:
एक सच्ची कहानी को हम सब ने देखा हैं।
अकेले होनेका दर्द न दिखाते हुए मोगली ने मनोरंजन किया हैं। हमे भी अपने गम छुपाकर खुश दिखाना ओर रहना हैं। वरना लोग खुश होंगे।

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