स्किल ओर योजनाए
दुनिया ये मानकर चल रही रही है कि एक अरब का देश भारत …आने वाले दौर में शक्तिशाली होने वाला है। लेकिन वास्तविकता ये है कि देश की आधी आबादी अब भी कुशल होने के लिए संघर्ष कर रही है,…इसलिए लगता है कि ये ये सपना बहुत दूर है। इस वास्तविकता को हकीकत में बदला जा सकता था और यही वजह है कि भारत सरकार ने इस चुनौती को प्रमुखता के साथ स्वीकार कर लिया है
किसी ने एक प्रसिद्ध कहावत कहा है कि ‘ एक बार को मोटर्स के बिना उड़ना संभव है, लेकिन ज्ञान और कौशल के बिना ये असंभव है “। यही स्किल यानी कौशल ,सभी मिशनों की रीढ़ की हड्डी या कहें अहम भूमिका अदा करती है और एक देश विकास केवल तभी कर सकता है जब उसके कर्मचारियों में तकनीकी, औद्योगिक और सॉफ्ट स्किल का सबसे अच्छा ज्ञान हो। या कहें वो तकनीकी रूप से कौशल हो।
2015 में, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने कौशल भारत कार्यक्रम का आगाज किया । इस मिशन के तहत, भारतीय युवाओं के लिए उनके पेशेवर कौशल को और बेहतर तरीके से पॉलिश करने का सर्वोत्तम मंच पेश किया । स्किल इंडिया का मकसद ही भारत भर में व्यावसायिक प्रशिक्षण देना है …इस योजना का मकसद भारत के युवाओं को अच्छी तरह से स्किल बनाने या कहें तैयार करना मकसद है। इस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की शुरुआत की गई, ये योजना मूल रूप से उन छात्रों के लिए है, जो अपने कौशल प्रशिक्षण का खर्च नहीं उठा सकते।
भारत सरकार का ये कदम मील का पत्थर साबुत हुआ। इस योजना ने उद्योग-संबंधित कौशल प्रशिक्षण के साथ लाखों भारतीय युवाओं को जोड़ने और उन्हें सशक्त बनाने में मदद किया। साथ ही उनके लिए इस प्रशिक्षण ने बेहतर आजीविका के लिए द्वार खोल दिए । आइए कुछ ऐसे ही सफलता की कहानियों पर एक नज़र डालते हैं-
उदाहरण के तौर पर हम लाइफ सांइंस को देख सकते हैं। ये मौजूदा दौर में शीर्ष मांग वाले क्षेत्रों में से एक है जो फिलवक्त 17 फीसद सीएजीआर की गति से बढ़ रहा है। लेकिन अभी भी इस सेक्टर में कुशल काम करने वालों की कमी है, हम इसी उभरते क्षेत्र से एक प्रेरणा दायक कहानी बताते हैं-
ये हैं हेमंत झा| आप हेमंत झा से मिलिए। जब तक पीएमकेवीवाई की शुरूआत नहीं हुई थी , तब वे बिहार के कटिहार जिले के एक सामान्य युवा थे। लेकिन इन्होंने पीएमकेवीवाई के साथ कौशल प्रशिक्षण लिया, प्रशिक्षण के बाद इनका जीवन इस तरह से बदल जाएगा या कहें इतने बड़े पैमाने पर बदलाव आएगा …ऐसा उन्होंने सोचा नहीं था। पीएमकेवीवाई के तहत झा को लाइफ साइंस स्किल डेवलपमेंट कोर्स के तहत प्रशिक्षित किया गया, प्रशिक्षण के बाद वे एक सफल चिकित्सा प्रतिनिधि बनने के लिए तैयार किए गए। पीएमकेवीवाई ने उन्हें एक बेरोजगार युवक से एक शीर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ब्रांड के कर्मचारी के रूप में बदल दिया । फिलवक्त वे सन फार्मा के कर्मचारी हैं। एक तरह से कहें कि पीएमकेवीवाई से झा के सपनों को पंख मिला और उनका जीवन बदल गया।
इस योजना के तहत ना केवल पुरूषों बल्कि इन संभावित विकास पाठ्यक्रमों ने भारतीय महिलाओं के लिए भी अद्भुत काम किया। पिछले 3 वर्षों में, 3 लाख महिलाओं को अपनी आजीविका अर्जित करने के लिए इस योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया । एक छोटे से प्रशिक्षण ने इन महिलाओं के जीवन को बदल दिया या कहें अब तक की ये साधारण महिला , अब खुद हीरो बन चुकी हैं।
अब सफलता की दूसरी कहानी देश के पूर्वी छोर से सुनिए । पूर्वोत्तर से सफलता की ये पहली खबर है। त्रिपुरा के एक दूरदराज के गांव से एक आदिवासी महिला ने खेती के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया । किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये लोग अब तक की पारंपरिक खेती में बदलाव करेंगे। इन इलाकों में पारंपरिक खेती तब पर्याप्त नहीं थी,अब भी यह पर्याप्त नहीं है। यही वजह है जब एक पूरा गांव अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे थे.. ऐसे दौर में बदलाव जरूरत थी और इन महिलाओं ये बदलाव किया भी ।
अब आप नित्या देवी निहोतिया से मिलें, इन्होंने सफलता के लिए कम दूरी की यात्रा तय की है। निहोतिया ने पीएमकेवीवाई के जरिए ही रबड़ बागान कार्य में प्रशिक्षण लाया। प्रशिक्षण के बाद उसने रबर बागान नर्सरी की शुरूआत की । इस नर्सरी के जरिए अब निहोतिया को 4,000 रुपये प्रति माह का मुनाफा होता है । अब निहोतिया ना केवल पीएमकेवी के लिए आभारी हैं, बल्कि अब वो अपने अनुभव को साझा भी करना चाहती है। निहोतिया के मुताबिक दूसरों को सही समय पर सही जानकारी मिल जाए तो कई समस्याओं का निदान हो जाता है।
सरकुम:
शिक्षा को सीखने से जोड़ना जरूरी है,उसे गुणाकन से जोड़कर देखने से बाहरी समस्या बढ़ जाती है।
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