जीवंत जीवन ऐसा होता हैं...

बच्चे को माता-पिता ने राक्षस समझ कर छोड़ दिया था,एक महिला ने सहारा दिया,फिर क्या हुआ पढ़े।

नाइजीरिया के एक गांव में एक 2 साल का लड़का बिलकुल हड्डियों के ढ़ांचे में तब्दील हो गया था. उसके माता-पिता ने उसे अशुम, राक्षस मानकर सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया था. माता -पीता के अंधविश्वास की सज़ा एक मासूम बच्चे को यह मिली की वह बच्चा भूख के मारे कचराकुंडियों जो कुछ मिल जाता था खा लेता और अपनी भूख मिटाने की कोशिश करता रहता था.

नाइजेरिया में मानवतावादी संघठन में काम करनेवाली अंजा रिंगरेन लोवेन ने इस बच्चे (होप) को जब देखा तो भूख और प्यास से बेताब था. अंजा ने उसे पानी पिलाया और खाना खिलाया. फिर उसे अस्पताल ले गई उसका इलाज करवाया. बच्चे के शरीर में कीड़े पड़ चुके थे.

अंजा ने फिर उसे अपने 'अफ्रीकन चिल्ड्रेन्स ऐड एजुकेशन एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन' द्वारा चलायें जा रहे बाल विकास केंद्र में शामिल किया और अब वह वहां दूसरे बच्चों के साथ खुश और स्वस्थ हैं. अंजा ने उसे स्कूल में भी दाखिल कर दिया हैं और वह अब पढ़ाई कर रहा हैं.


अंजा ने स्वंय एक नाइजेरियाई व्यक्ति से विवाह किया हैं और उनको एक लड़का हैं. आज दुनिया में चारों तरफ मानवता की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं ऐसे में अंजा जैसे कुछ लोग मानवता के लिए उम्मीद का किरण साबित होते हैं. ऐसे लोगों से हर किसी ने सबक लेने के ज़रूरत हैं।

सरकुम:

क्या हम ऐसे बच्चों के लिए कुछ कर सकते हैं? सोचा तो हैं, ऐसा काम कुछ हो भी रहा हैं। इसे फैलाने के लिए हमारे पास पैसा नहीं हैं। आज 14 बच्चे ऐसे हमारे पास हैं। पेसो के बगैर समस्या कम नहीं होती। कभी कभी बढ़ती हैं।

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