शिक्षा में विचार


आप पोस्टर देखेंगे।

आईं स्टाइन ने कहा हैं।
आप उस भाव को तो समझ गए होंगे।मुजे कुछ कहना नहीं हैं।विचार के सर्जन के किए शिक्षा आवश्यक हैं।मगर इसे कहने में मजा हैं,सुन ने में मजा हैं मगर इसे इम्प्लीमेंट करते समय हम सिर्फ फेक्ट ओर फिगर के प्रति ही ध्यान देते हैं।सवाल उठने चाहिए।ऐसी थिंकिंग प्रोसेस आवश्यक हैं।इसको कक्षा एक से पाठ्यक्रम में लिया गया हैं।सभी कक्षा के सभी विषय में जहाँ जो भी स्किल का चांस मील उसे बच्चो के सामने रखने का अवकाश देती हैं।पाठ्यक्रम NCERT का हो या स्थानीय काउंसिल का मगर इन चीजों के बारे में कुछ सोचके रखा होता हैं।मगर न जाने क्यों सिर्फ फेक्ट ओर फिगर चलते हैं।

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शिक्षा याने बच्चो की दुनिया।
जजिस में सिर्फ बच्चो का अधिकार होता हैं।हम सिर्फ उन्हें सुविधा प्रदान करनी होती हैं।

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