अमदावाद : कर्णावती



कुछ दिनों पहले की बात हैं।
गुजरात के किसी कॉलेज में यूथ पार्लमेंट थी।अमित शाह,सुब्रह्मण्यम स्वामी ओर अन्य विशेष वक्तव्य देने वाले महानुभाव थे।सुभर्मनियम और साम पित्रोडा की स्पीच को विशेष कवरेज मिला।अमित शाह को तो मीडिया कवरेज मिलना ही था।सभी ने अपने विषय में विशेष बात कही। सुब्रह्मण्यम स्वामिनी कहा की अमदावाद को कर्णावती नाम देने के लिए BJP 1990 से बोल रही हैं।नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने प्रधानमंत्री को इस के लिए खत लिखा था।मगर आज वो प्रधानमंत्री हैं फिरभी कर्णावती नाम नहीं दे रहे हैं।क्यो?अपनी बात में उन्होंने गुजराती लोगो को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा बॉम्बे का मुम्बई करने में मुंबई वासी ओर महाराष्ट्र के लोग आगे आये थे।ऐसा ही चेन्नई के लिए हुआ।मगर गुजराती लोग ऐसा क्यों नहीं कर पाए,न करवा पाए।अब सुब्रह्मण्यम जी के बारेमें थोड़ा जान ले।वो भारत के सबसे बड़े वकीलों में से एक हैं।कोंग्रेस में राजीव गांधी के करीबी होने के बाद वो दूर हुए।इतने दूर हुए की आज कोंग्रेस स्वामी के नाम से डरती हैं।ऐसा नहीं हैं कि वो BJP में हैं तो BJP वालो को शांति हैं।वो BJP को भी आड़े हाथों लेते हैं।उनके किए खुदका मंत्री होना या न होना कोई फर्क नहीं पड़ता हैं।वो खुद गब्बर हैं।कोंग्रेस ओर BJP दोनो उनसे उतने ही डरते हैं।हमारे देश के फाइनांस मंत्री अरुण जेटली को वो नासमझ मंत्री मानते हैं।उन दोनों के अच्छे संबंध नहीं हैं।उन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव मध्यस्थि करते आये हैं।स्वामी एक विचारक ओर विवेचक हैं।स्वामी आजतक जो बोले हैं ऐसा होते आया हैं।उनका मानना हैं कि 2019 से पहले अयोध्या में रामजी मंदिर बन जायेगा।स्वामी ने भारत के राजकीय इतिहासमें जो कहा हैं,वो हुआ हैं।

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सुब्रह्मण्यम स्वामी एक ऐसे नेता हैं जिन्हें कोई भी पार्टी अपने पक्षमें लेना चाहती हैं,ओर लेनेके बाद उन्हें निकालना भी चाहती हैं।

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