बस,जय हिंद






कल रात में टीवी देख रहा था।मुजे नींद नहीं आ रही थी।चेनल वाले BSF जवानों को नींदमें सोते दिखा रहे थे।बड़ी बहस ओर चर्चा चल रही थी।एक एक्सपर्ट ने ऐसी स्टूडियो से बैठे बैठे कहा कि ऐसे जवानों पे मुकदमा करना चाहिए।

आजकल TV पे आधी रात का सच दिखाया जा रहा है । 
रात के 2 बजे किसी बॉर्डर  पर स्मगलर घुस जा रहे हैं और वहाँ सो रहे BSF वालों को
दिखा के कहते हैं कि 
देखिये BSF सो रही है । मगर आप ये भी सोचिए कि इतनी जानकारी देने वाला पत्रकार ये नहीं बताता की वो गुसने वाला 
आंतकी आखिर गुस के कहा गया!?BSF वाला तो छ महीनों से यही हैं,कब तक रहेगा मालूम नहीं मगर जिसको गुसते हुए दिखाया वो कहां गया।
ओर आगे ...
पत्रकारिता क्या हैं।
इसे एक बार समज लेते हैं।
किसी ज़माने में पत्रकारिता में एक विधा हुआ करती थी जिसे  खोजी पत्रकारिता कहते थे। अंग्रेजी में इसे Investigative Journalism कहते हैं।
 मामले समस्या की जड़ में ,
 तह में जा के कारण और समाधान खोजना । 
यदि आप हिन्दुस्तान के किसी भी  बॉर्डर पर जाएँ और वहाँ आपको कोई सिपाही वर्दी में मिलेगा। सोता हुआ मिल जाए , तो उसे उठाने से पहले एक बार सोचिये ।
अगर उठा दिया तो पहले ये पूछिए , भैया कब से सो रहे हो ?आखिरी बार अपने घर या बैरक के बिस्तर पे चैन की नींद पूरे 6 - 8 घंटे कब सोये थे । 
आखिरी weekly off कब मिला था ? कितने साल पहले ?
बीबी बच्चों की शक्ल देखे कितने दिन, हफ्ते या महीने हुए । 
पिछले कितने घंटे से लगातार duty कर रहे हो ?
खाना खाया ?

जी हाँ मित्रों... समाज में हमारी BSF की प्रचलित image जो भी हो , पर जिन विकट परिस्थितियों में हमारी BSF काम करती है , वो असलियत में आप जान जाएंगे तो आपकी रूह काँप जायेगी । 

@#@
सोते हुए सिपाही को दिखाने वाला पत्रकार स्पेशियल रिपोर्ट की थकान दूर करने के लिए 2 दिन की छुट्टी पे हैं।

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