साथ चलो...संघ चलो...

गांधीजी
सरदार पटेल
जवाहरलाल नेहरू
सुभाषचंद्र बोझ ओर शहीद भगतसिंह।ये ऐसे नाम हैं जिन्हें हम नेता के रूप में देखते ओर समझते आये हैं।आज कल नेता यानी सबसे सफेद कपड़ो के साथ  महंगी गाड़ी में गुमने वाली व्यक्ति जिस के पास सिर्फ नेता होने का ड्रेस कोड ओर कुछ प्राथमिक जानकारी हैं जिसे वो दिखा सके।अब होता ये हैं कि हम मानते हैं कि नेता जो होता हैं वो कहे वैसे करना हैं।
मगर ऐसा नहीं हैं।
बापु या सरदार ने कभी किसी को कोई रास्ता दिखाया नहीं कि आप ऐसा करो।उन्हों ने वो रास्ता देखा और उसके ऊपर वो चले।अगर बापु कुछ भी न करते तो वकील का काम करके वो पूर्ण वस्त्र पहन सकते थे।
भूटान के एक दोस्त का मेल आया।उसने कहा 'में मेरी स्कूल में नेतृत्व के लिए कुछ काम करना चाहता हु।में क्या करूँ?मेने कहा आप के दिल में जो ख्वाइश हैं,उसे आप आचरण में डाले।बच्चे अध्यापक या गुरु की नकल करते हैं।जब छोटे बच्चे घर आकर टीचर टीचर खेलते हैं तब उनके टीचर को वो फॉलो करते हैं।टीचर उनके लिए ज्ञानी ओर मार्गदर्शक हैं।टीचर जो ओर जैसे करते हैं,बच्चे वैसे ही करते हैं। एक टीचर की जर्नी से बच्चे जुड़ते हैं तो वो टीचर जैसा बनते हैं।
बस,लीडरशिप में ऐसा ही कुछ हैं,किसी को फॉलो करने के लिए दबाव नहीं डालना हैं,उन्हें हमारी जर्नी में जोड़ना हैं।

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हमे भी किसी को फॉलो नहीं करना हैं,उस व्यक्ति को जानने के लिए उसकी जर्नी से जुड़ना हैं।बाद में तय करें कि...

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