आसपास: किताब ओर जीवन


कुछ खास होता हैं।
कुछ आसपास होता हैं।
आसपास वैसेभी मुज से जुड़ा हैं।गुजरात में जब कक्षा 8 को प्राथमिक में लाया गया तब किताबे फिरसे लिखने की नोबत आई।कक्षा 5 में सामाजिक विज्ञान के बदले अब पर्यावरण आने वाला था।
3 से 5 तक पर्यावरण विषय को लिखने की जरूरत पड़ी।मेने इस किताब में काम किया,जब पर्यावरण के बदले कोई और नाम सोचना था तो हमने...

कक्षा:3 मारी आसपास
कक्षा:4 अमारी आसपास
कक्षा:5 सौनी आसपास

नाम तय किये।NCERT की किताबो से अनुवाद करके पर्यावरण विषय को लिखना था।स्थानीय परस्थिति के आधारपर पर्यावरण को लिखना था।हमने उसे गुजरात स्पेसिफिक बनाने की जहमत की।हम शायद उसमें सफल हो पाए।
मेरी पास एक अच्छी टीम थी।इस टीम में मेरे साथी भी थे।इस किताब का नाम भी हमने 'आसपास'रखा।इस किताब को बनाने में मेरे आसपास बहोत कुछ हो चुका हैं।इस किताब के साथ कुछ आसपास के साथी बहोत दूर हो गए हैं।सभी लोगो ने एक साथ मिलकर महेनत की थी।कुछ व्यवस्थामें ऐसा सुधार आया कि श्री जयेशभाई पटेल ओर श्री चांगाभाई काग (बनासकांठा) के साथ श्री मिनेशभाई वालन्द (अमदावाद) का नाम नहीं छप पाया।उन्होंने महेनत की थी।मगर उन्हें क्रेडिट नहीं मिली हैं।मुजे बहोत संशय ओर दुख हैं कि में उन्हें सन्मान न दिला पाया।उनका नाम लिखा होना चाहिए था,मगर नहीं हो पाया।
फिरभी लंबा सफर हैं।
दिन भी बहोत हैं कि काम कर पाए।आसपास लिखते समय बहोत कुछ सीखा हैं।बहोत कुछ सीखना अभी बाकी हैं।सभी को सीधा बोलने की नसीहत देने का आसान हैं,मगर उस नसीहत के आधार पर काम करना हमारी आदत में नहीं हैं।कोई ऐसी बात जो हमे पसंद नहीं हैं,किसी ओर को कैसे पसंद आएगी? आसपास वोही टिकते हैं,जो कुछ खास काम करते होते हैं।ऐसा खास काम करने वाले व्यक्ति या कहिए एक्सपर्ट अपने पास से चला जाये तो दुख होता हैं।क्यो की उनके ज्ञानका संचय इस किताब में मिला हैं।आशा हैं अगली किताब तक आसपास के सभी मनमुटाव कम हो जाएंगे।सभी बातें साफ हो जाएगी।

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आसपास के लोग।
अगर खास हैं तो काम खास ही होना हैं। अगर खास काम करना हैं तो खास लोगो को संम्भालना होगा।

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