हमारी जिम्मेदारी

व्यक्तिगत और सामूहिक।
हम दो तरीके से काम करते हैं।
हर बार सफलता मिलने के लिए ही हम प्रयत्न करते हैं।मगर वो संभव नहीं हो रहा हैं।
जब हमारे बहोत सारे प्रयत्न के बावजूद भी हम सफल नहीं होते हैं तो हमे दुख होता हैं।मैनेजमेंट में सफलताके लिए 14 प्रयत्नों को समजाया गया हैं।क्या हमारे पास एक ही काम 14 तरीको से या 13 से अधिकबार करने की धीरज हैं।
कोई लक्कड़ हार 95 वे बार कुहाड़ी को मार के पेड़ काटने की कोशिश करता हैं,हो सकता हैं 95 प्रयत्नों के बाद वो असफल रहा हो।अब हीग ये की कोई दूसरा व्यक्ति सिर्फ 5 बार कुहाड़ी मारकर पेड़ काट लेता हैं।किस के प्रयत्नों से ये हुआ!पहले लक्कड़ हारे के कारण या दूसरे ने ही ये कर लिया।
हम असफल होंगे तो वो असफलता हमारी हैं।अगर हम सफल होंगे तो लोग उसके बाद हमे विशेष व्यक्ति बनादेंगे।कहते हैं कि ताला खोलने के लिए अगर 10 चाबी हैं,तो हमे दस चाबी खत्म होने तक हमारी कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए।


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कोशिश करना हमारा कर्तव्य हैं,कर्तव्य को पूरा करने का हौंसला ओर शक्ति भगवान या कुदरत से मिल जाती हैं।

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