खेल और बच्चे

छोटे बच्चे।
छुट्टियों में अपनी थोड़ी मनमानी कर सकते हैं।मेरे एक दोस्त हैं।लालजीभाई देसाई।वो ज्यादातर mgs या whats aep में संदेश नहीं भेजते।अपना इस काम में से बचाया हुआ समय वो राष्ट्रनिर्माण के काम में लगाते हैं।एक अच्छे अध्यापक,प्रधानाचार्य ओर व्यक्ति के तौर पे में उन्हें पिछले 10 साल से अधिक समय से जनता हुं।
कुछ दिनों पहले उन्होंने मुजे एक फोटो भेजा।
बच्चे खेलते थे।पेड़ पे चढ़े थे।फोटो खींचने वाले ने खूबसूरत क्लिक की हैं।बच्चे छुट्टियोंमें ही क्यो रोज बरोज खेलने चाहिए।पेड़ पे चढ़ना,दौड़ना,कूदना ओर गाना बजाना ओर दिमाग की कसरत जैसे खेल खेलना महत्वपूर्ण हैं।मेने आगे भी लिखा हैं कि ऐसा रोज होना चाहिए।
अब जो नहीं हो रहा हैं,उस के लिए रोने से अच्छा हैं,कुछ दिनों तक तो होता हैं।मेरा यकीन हैं कि लालभाई के बच्चे ऐसे ही खेलते होंगे।

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खेल खेलने से मन और कर्म का विकास होता हैं।सामूहिक भावना बढ़ती हैं,ओर आत्म विश्वास बढ़ता हैं।

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