में करूँगा....

में कुछ भी करूँगा।
मेने जो तय किया हैं वो में लेके रहुंगा।ऐसा जज्बा ओर ऐसा विश्वास बच्चे में सदैव रहता हैं।
जैसे कैसे भी बच्चा बड़ा होता हैं,उसका आत्मविश्वास क्यो मगर कम हो रहा हैं। ये हमने देखा हैं,हमने महसूस किया हैं।क्या हो सकता हैं।आज मुजे श्री नलिन पंडित सर की ओर से एक msg मिला।10 और 12 वी क्ष के नतीजे निकले हैं।उस के बाद जो बच्चे मर ने के लिए नदी,तालाब या नहर का उपयोग आत्महत्या करने में करते हैं।
यहाँ रिफ्यूजी टीम खड़ी रहती हैं।
इस टीम के मरने वाले को पानीमें से भर निकाल के बचने वाले व्यक्ति ज्यादातर 12 वी फेल हैं।कहिए,कहा गया आत्मविश्वास?फेल होने से जीवन खत्म नहीं होता,मरने से सवाल कम नहीं होते।मरने से कुछ सवाल ओर भी बड़े हो जाते हैं।
बछो का जो आत्म विस्जवास ओर बगैर डर के निर्णय लेने की क्षमता ही आगे बढ़ने में मदद करती हैं।मगर उस उम्र तक पहंचने तक वो स्टॉक खत्म हो जाता हैं, जो कभी वापस नहीं आ सकता।ऐसा क्यों होता हैं,हम क्या कर सकते हैं।सवाल ओर सुजाव पसंद आएंगे।

@#@
में कर पाऊंगा।
इसका मतलब हैं, आधा काम हो गया।

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