मानव श्रम और श्रम



गन्ने का रस।
गर्मियों में सबको भाता हैं।
गमयो में ओर वैसे भी में लिक्विड लेना पसंद करता हूँ।गर्मियों में गन्ने का रस पीने के अनेक लाभ हैं।में अधिक से अधिक गन्ने का रस पीना पसंद करता हूँ।
पहले तो हम गन्ने को चूसते थे।बाद में ऐसे मशीन आये की जिसमें रस निकलता।बिजली या डीजल से चलता था।कुछ सालों से हमे लकड़े के बड़े मशीन देखते हैं।पिछले दो सालों से ऐसे मशीन में डीजल का जनरेटर लगाकर गन्ने का रस निकाल जाता हैं।कुछ महीनों पहले मेने एक ऐसा मशीन देखा जिसमे से रस निकलता हैं मगर गन्ना बहार नहीं आता।
कुछ दिनों पहले में ओर मेरे दोस्त गन्नेका रस पी रहे थे।मेने उन्हें एक सवाल किया।लकड़े के मशीन में डीजल जनरेटर लगाने से क्या रस के स्वाद में कुछ परिवर्तन होगा।उन्हों ने कहा कि 'नही गन्ने को लकड़े के गोल पिंड के बीच दबाया जाता हैं,इस लिए रस के स्वाद में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।मेरा मानना हैं कि मानव श्रम के बजाय मशीन का श्रम होता हैं तो काम आसान होता हैं मगर स्वाद बदल ही जाता हैं।घरघण्टी उसका उदाहरण हैं।पहले घर में मानव श्रम से घंटी के  द्वारा औरते अनाज से आटा बनाती थी।उस समय दो पथ्थर के बीच में ही अनाज से आटा निकलता था।आज घरघंटी में दो पथ्थर के बीच ही आटा मिलता हैं।मगर उस के स्वाद में फर्क हम महसूस करते हैं।

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कुछ तो होगा मानव श्रम का महत्व,वरना स्वाद न बदल जाता।

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