बच्चे बनेंगे,सच्चे बनेंगे...

छोटे बच्चे।
सबसे अलग उसकी दुनिया।
सबसे अलग उनके विचार और अमल।देखा जाए तो बच्चे सबसे अलग होते हैं।वो सबसे अधिक साथ रहना पसंद करते हैं।साथमें न होते हुए भी वो अपने साथी को याद करते हैं।
बच्चे सदैव नए तरीके से नए दौर से सोचने का जिगर रखते हैं।बच्चे कभी सबको साथ लेके चलने की बात करते हैं।बच्चे साथ हो तो शोर मचाते हैं,अलग करो तो रो लेते हैं।बस,बच्चे बच्चे हैं।इन से बच्चे बनकर ही जिया जा सकता हैं।आप भी अभी बच्चे बनकर सोचोंगे तो आपको ख़ुशी होगी।
मेरे एक दोस्त हैं।
बहोत सारी बाते हमे सहमत नहीं हैं।फिरभी हम साथ काम करते हैं।आज भी किसी काम के लिए सहमती से काम करते हैं,फिरभी किसी भी बातन्या काम में भरोसा नहीं हैं।हो सकता हैं,ये भी एक व्यवस्था हो,जो अभी तक के सभी में सबसे उत्तम समय हो।आशा हैं बच्चो के जैसे ही हम सोचके शांति से सोएंगे।ऐसा हो भी रहा हैं,थोड़ी देर में भुलजना मगर काम में कोई दिक्कत नहीं हैं,सो हम कुछ अच्छा कर रहे हैं।

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कोई भी बच्चा अगर सामने वाले को प्यार या नफरत करता हैं  तो तुरंत दिखा देता हैं।जताता हैं।

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