रात ओर दिन...


रात हैं तो दिन हैं।
दिन हैं तो रात हैं।रात दिन हैं,तो सप्ताह,महीना और साल हैं।कुछ दिन गुजर जाते हैं,तब महीने होते हैं।महीने कैसे गुजर गए वो मालूम नहीं हैं,आने वाला वख्त भी कैसे गुजर जाएगा मालूम नहीं पड़ेगा।

जब व्यक्ति सुबह जागता हैं,अपने काम पे लगता हैं।तब उसे दिन कैसे खत्म होगा उसकी नहीं,दिनभर क्या क्या होगा उसकी फिक्र रहती हैं।जब दिन निकलता हैं तब कुछ तय नहीं किया होता हैं।भगवान के आशीर्वाद से कभी में खाली हाथ नहीं वापस आया हूँ।आप नहीं मानोगे, जब भी रात को तय किया हो या न किया हो।सदैव मेरी फेवर में ही सब होता हैं।रात याने अंधेरा हैं।अंधेरा हैं तो उजाला अवश्य होगा।आज अगर जो हैं वो उजाला हैं तो कल कुछ दिनोंका अंधेरा अवश्य आएगा।अंधेरे का इंतजार न करे।अंधेरा अपने आप दूर हट जाएगा


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अंधेरा दूर करने का सबसे आसान तरीका हैं,थोड़ी देर आंखे बंद करलो।फिर से खोलो,आपको अवश्य दिखाई देगा।आप अगर फ़िल्म देखने गए होंगे तो आपने महसूस किया होगा।

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