दुआ ओर ख़ुशी
ऐसी कोई चीज हैं जो बाटने से बढ़ती हैं।हम कहेंगे ज्ञान।जी हाँ, ज्ञान ऐसा हैं जो बाटने से बढ़ता हैं।आज मेरे दोस्त अवनीश जी ने मुजे एक पोस्टर भेजा। उसमें 2 बाते ऐसी लिखी हैं जो एकदम से अलग हैं।मगर फिरभी वो जानकारी सही हैं।
उन्होंने कहा हैं कि मुस्कुराहट ओर दुआ ऐसी चीज हैं,जो बाटने से बढ़ती हैं।मुस्कुराहट तब आती हैं,जब हम खुश होते हैं।तब हम किसी ओर को भी खुशी दे सकते हैं।में अगर किसी ओर की बजह से खुश हूं तो इसका मतलब सीधा ये होता हैं,की मुझेभी किसी को खुश करना चाहिए।
दूसरी दुआ...
मेरी दुआ आप के साथ हैं।
किसी ने कहा हैं कि दुआओ मेण्याद रखना।हमे मालूम हैं कि ज्यादातर हम दुआ अपने लिए या अपनो के लिए मांगते हैं।में भी मेरे अपनो को खुश देखना चाहता हूं।उनके लिए दुआ करना चाहता हूं और करता हूँ।आप भी ज्ञान को छोड़ के ऐसी दो नई बातो को फेल सकते हैं,जिससे आपका जीवन भी आगे बढ़ेगा।
मुस्कुराहट...आप की बढ़ेगी क्योकि आप के पीछे किसी की दुआ होगी।आप के पीछे जिनकी दुआ होगी उनकी खुशी की जिम्मेदारी आपकी होगी।
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