रंगपर्व...

आज रंगों का पर्व हैं।
रंग हमारे जीवन से जुड़े हैं।
रंगों की अलग पहचान हैं,रंग अपने आप में सृष्टि का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

कुछ रंग दो तरफ की पहचान करवाते हैं।जैसे से की लाल रंग।शुभ प्रतीक हैं,क्रांति का प्रतीक हैं।गुस्से का प्रतीक भी लाल रंग हैं।आज जीवन के सभी रंग हमे देखने को मिलेंगे।कभी कभी ऐसा होता हैं कि हमारे जीवन में महत्वपूर्ण दिवस हो,व्यक्ति बहोत खुश हो और वो इतना खुश की किसीकी भी नजर लग जाये।अगर दूसरी बात देखी जाय तो वो क्यो खुश हैं।अगर खुशी का रंग गुलाबी हैं तो गुलाबी रंग लाल से ही बनता हैं।प्यार का रंग लाल हैै,शांति का रंग सफेद हैं।प्यार और शांति साथ मिलते हैं तभी खुशी वाला गुलाबी रंग मिलता हैं।

मुजे मालूम हैं कि जो व्यक्ति जितनी दुखी या चिंतित होती हैं वो इतनी खुश रहने का प्रयत्न करती हैं।कोई व्यक्ति खुश दिखने का प्रयत्न करती हैं,किसी की खुशी छलकती हैं।दिखाने का प्रयत्न करने वाली व्यक्ति को हम देखते हैं।और जिनकी खुशी छलकती हैं,उनका अहसास होता हैं।
मेने किसी दोस्त कहा,

आज के दिन तक आपकी होली थी,आज से आप के जीवन में हर रंग खिले। अगर जीवन में सिर्फ खुशियां का ही रंग आये तो भी हम जीवन से नाखुश रहेंगे।कभी कभी ऐसा बनता हैं की हम जिस रंग का इंतजार करते हैं,वो सारे रंग हमे एक साथ भी मिलते हैं।
प्यार,सोच,गहराई,वर्चस्व,प्रभाव,साथ,विश्वास,क्रान्ति,अर्पण ओर समर्पण के साथ गुस्सा,तकरार,गलती ओर तहजीब के रंग भी होते हैं।क्या कोई एक दिन आपका ऐसा गया होगा जो सिर्फ दुख,गुस्सा या एक पल की खुशी न लाया हो।सारे रंग और जो हमारे जीवन में आये हैं।जो आने वाले हैं इसे हम प्यार से अपनाएंगे,आवकार देंगे और उसे जाते हुए देखेंगे।अगर वो रंग हमे पसंद हैं तो उसका इंतजार करेंगे।अगर वो रंग हमे पसंद नहीं हैं तो वो बहोत दिनों बाद आये या कुछ कम मात्रामें आये ऐसी प्रभु से प्रार्थना करेंगे।

जय हो...
रंगपर्व...

#हुकुम

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