ऐसा भी है...
गुजरात स्टेट इनोवेशन फ़ेस्टिवल।पोरबंदर की बात कर रहा हूँ।25 तारीख से में पोरबंदर में हुँ।हमारे रहने का ओर खाने पीने का स्थान थोड़ा दूर था।बाजू में ही फेस्टिवल का टेंट था।165 से अधिक स्टोल में नवाचार सजाये गए थे।
सुबह से हमने शैक्षणिक नवाचार किताब के लिए कुछ जानकारी इकट्ठा करने की शुरुआत की।सभी इनोवेटर्स के बारेमें जानकारी इकठ्ठा की।इसे मास्टर कॉपी में सुधार किया गया।मेरे साथ 5 साथी थे।उनके सहाय से हमने सभी इनोवेटर्स के सहयोग से उनकी जानकारी और काम के बारे में छपी हुई बातो को सुधार लिया।हम सारी जानकारी एक कर पाए और हमारा भोजन का समय हों गया।
में भोजन शाला पहुंचा।मेरे पैर में ज्यादा चलने से छाले पड़ जाते हैं।जब मेरे पेरमें छाले होते हैं तब में खुले पर चल नहीं सकता।में शूज पहन कर अंदर गया।सम्पूर्ण भूदेव के गणवेश में दो बच्चे मेरे सामने आए।उसमें से एक का नाम रोहित था।रोहित ओर उसके साथी ने मुजे शूज निकालने के लिए कहा।मेने मेरी दिक्कत के बारे में कहा।दोनों भूदेव मान गए।जब में भोजन करके वापस आया दोनों अपने काम मे वही पर खड़े थे।मेने उनके साथ फोटो खिंचवाई।
मुजे ऐसे भूदेव देख के ख़ुर्शी हुई।संस्कृत महा विद्यालय ओर इन संस्कृत के विद्यार्थी को देखकर, उन से बात करके ओर उनकी काम के प्रति जिम्मेदारी देखके में खुश हूं।
Thanks
#पोरबंदर...
# स्टेट इनोवेशन फेस्टिवल...
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