फिर अकेला...
जब में पढ़ता था।
स्कूल में शिखाया जाता था कि मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं।समाज में वो जुड़ता हैं।साथ चलता हैं।कभी आगे तो कभी पीछे हो जाता हैं।कभी समज नहीं पाता हैं,कभी समजा नहीं पाता हैं।एक तरफ काम और दूसरी तरफ जिम्मेदारी ओर समाज से जुड़ने का,जुड़े रहने का अवसर या जिम्मेदारी !14 तारीख़ को गुजरात में चुनावी उत्सव था।उस वख्त हमारे परिवार में शोक का माहौल था।सीधे परिवार के सदस्य के देहांत का दिन था।परिवार जैसे टूट चुका था।आज उनकी 13 वी हैं।
ॐ शांति
#बाबू मोशाय...
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