ऐसी खुशी

हम खुश हैं?
क्या हम सचमुच खुश हैं।
हमे कैसे मालूम पड़े की सामने वाली व्यक्ति खुश हैं।आज कहीं से निकलते समय कुछ बच्चों को देखा।उनके पास खेलने के लिए कुछ नहीं था।फ़िरभी 3 या 4 बच्चे खेल रहे थे।खुश थे।सिर्फ बच्चे ही ऐसे होते हैं जो अपने चहरे पर गलत दिखा नहीं सकते।खेलने के एक भी साधन के बगैर वो खुश थे।बहोत खुश थे।

में भी खुश हो गया,उनकी खुशी देखकर।
याद रखने के लिए कुछ छिपा के रखा हैं।

हर कोई हर बात पे कुश नहीं हो सकता,प्रत्येक व्यक्ति किसी एक बात पे तो खुश रह सकता हैं।ये मेरा मानना हैं।आज में खुश हूं।आज का दिन मुझे याद रहेगा।मेरे हिस्से क्या आएगा मालूम नहीं हैं,हा मेरे हिस्से खुशियां अवश्य होगी।
#मेरी खुशियां

Comments

Popular posts from this blog

ગમતી નિશાળ:અનોખી શાળા.

ન્યાયાધીશ અને માસ્તર

અશ્વત્થામા અને સંજય જોષી