मनो मावजत
आज से 16 साल पहले की बात हैं।गुजरातमें भूकंप आया था।26 जनवरी 2001 के दिन की बात हैं।सुबह सुबह भूकंप के जटके आए।जटको के साथ कच्छ के सामने अनेक समस्याए थी।साथ साथ बनासकांठा,सुरेंद्रनगर ओर अन्य कई विस्तारमें अधिक समस्याएं थी।
इसके बाद जो हुआ।सारे विश्वने देखा।गुजरात को इस के बाद भौगोलिक,सामाजिक ओर राजकीय स्वरूपमें देखा जाने लगा।आज ऐसे ही कुछ हालात बनासकांठा ओर पाटन में था।वरसात ओर अतिवृष्टि के कारण जो नुकशान हुआ।कभी उसे भरपाई नही कर पायेगा।
सबसे पहले जान माल के नुकशान को सरकार और संस्थाओ ने भरपाई करने का प्रयत्न किया।कुछ संस्थाए ऐसी थी कि जिन्होंने जैसी जरूरत वैसी सुविधा भी प्राप्त करी ओर करवाई।
एक शिक्षक चाहे वो कर सकता हैं।जैसेही विराट आपदा के बारेमें प्रारंभिक जानकारी प्राप्त करने के बाद श्री जयेश पटेल(राज विद्यानगर,कांकरेज)ने sristi इनोवेशन ओर
युवाग्रीन फाउंडेशन खरसदा के संपर्क किया।उन्होंने क्या सहाय चाहिए,उस गाँव में सहाय कैसे पहुंचाए ओर इसके लिए क्या क्या आयोजन करना हैं।युवाग्रीन फाउंडेशन के श्री के.वी.पटेल ने इस कार्यको जैसे नीव से पकड़ा।जरूरत के आधार पर चीजे बनाई गई।किट तैयार करने के बाद उसे पहुँचानेका आयोजन करवाया गया।
श्री जयेश पटेल और श्री के.वी.पटेल के साथ मेनेभी कई सारे प्रकल्पमें काम किया हैं।सृस्टि के श्री चेतन पटेल ने भी इस महा अभियानमे सहाईग किया और सुविधा प्रदान करवाई।
यहाँ आप जो फोटोग्राफ देख रहे हैं,उसमें एक बच्चे के स्कूल बैग दिखता हैं।सहाय केम्पके दौरान कही दूर से बेग पानीमें आई होगी।इन बच्चों के मानसिक स्थिति को कोंन समझेगा।इन के लिए GCERT ने मनो सामाजिक मावजत का काम शुरू किया हैं।
इन बच्चों को अब कुछ नही,सिर्फ हमारा प्यार और दुलार चाहिए।
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