प्यार का संगीत
उसका नाम मेनुहिन।
यहूदी परिवार का लड़का।उसके पिताजी मशहूर वायोलिन वादक थे।वो पेलेस्टाइन में पैदा हुए थे।उन्होंने पेलिस्टेंइन लोकगीतों को वायोलिन पे बजाते थे।उनके इस कौशल्य के माद्यम से वो लोगोको इकठ्ठा करते थे।इन लोगो के समुहमें तब पेलेस्टाइन की आजादी की बाते होती थी।तब ब्रिटन सरकार ने उनके वायोलिन वादन पे प्रतिबंध लगाया था।उन्होंने पेलेस्टाइन से बहार जाकर अपने देश के लिए काम किया।
अब फिरसे लड़के की बात।इस लड़के को इस सालका जवाहरलाल नहेरु आंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार दिया गया हैं।विश्वमें वायोलिन बजाकर शांति का संदेश देनेवाले मेनुहिन को प्राप्त शांति पुरस्कार मिला तब वो 14 सालके थे।
मेनुहिन का एक इंटरव्यू उनकी माँ के साथ आया था।
इंटरव्यू भी बहोत अच्छा था।जिस में लिखी एक बात आपको पसंद आएगी...
जब मेनुहिन दो या तीन सालका था।घरमें वो वायोलिन बजाना चाहता था।उसकी मम्मी ने उसे तीन चार बार खिलोने वाला वायोलिन लेके दिया।अब उनके खिलोने से अच्छी आवाज नहीं आ रही थी।मेनुहिन ने फिरसे रोना धोना शुरू किया।उसके पापा ने उसे सच्चा वायोलिन देनेको कहा।इंटरव्यू में मेनुहिन की माँ ने कहा हैं कि उसके उसके पापा नेकहा,वो वायोलिन नहीं तोड़ेगा।उसे मालूम हैं।आंखोमें आंसू के साथ उन्होंने बताया कि मेरे मेनुहिन को वायोलिन की किम्मत मालूम हैं।उसके बाप ने देश छोड़ के वायोलिन बजाने की किम्मत अदा की हैं।
अपनी बात खत्म करने से पहले आंखों के आंसू न दिखाने के प्रयत्न के साथ वो बताती हैं कि'जवाहर पुरस्कार विश्वका शांति पुरस्कार हैं,अब पेलेस्टाइन नहीं ओर विश्व हमारा देश हैं।'
में भी ऐसे पुरस्कार देने वाले ओर लेनेवाले दोनो को अभिनंदन देता हूँ।
प्रत्येक व्यक्ति...
अगर किसी कला में रुचि रखता है।विश्व उसका परिवार बनता हैं।कोई भी चीज या घटना हमे कुछ दिन या महीनों पीछे रख सकती हैं।कोई परिस्थिति हमे अपने कार्य के प्रति रोक नहीं सकती।अगर लगाव हैं ।आज मेने वो देखा।आप भी देखे,सुने,पढ़े या महसूस करें।मेरा या हमारा कार्य के प्रति लगाव बना रहे,बढा रहेगा, यही हमे यकीन दिलाएगा की हम जिंदा हैं।
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