खेल...गीत और मनो मावजत
पिछले कुछ दिनों से कुछ अच्छा हो रहा हैं।बारिश के बाद जो समस्याए सामने आई उसमें एक समस्या विद्यार्थियो की थी।जहां कुदरती आपदा नहीं हैं वो समज नहीं पाएंगे।मगर समजीए।जिसके मा बापू या छिड़े बड़े भाई बहन गुजर गए हैं।किसीका खिलौना या खिलोने ओर अन्य सामग्री तहस नहस हो चुकी हैं।किसीके स्कूल की सामग्री बह चुकी हैं।ऐसे कई सारी बातें ऐसी हैं जिसकी बजह से बच्चों के मन में जैसे कोई डर हैं।उस डरको निकलना आवश्यक हैं।वो निकलने के लिए एक ही व्यवस्था हैं।जिसे GCERT ने शुरू किया हैं।
मेने उस विकल्पमें एक स्कूलमें इस प्रकारकी प्रवृत्ति को बच्चो के साथ किया।हपुजी वपुजी की एक कहानी बच्चो को सुनाई।इस कहानी में गाना... रटना... सुनना...समजना...बोलना...वाह रे वाह।मनो सामाजिक मावजत के माध्यम से मेरी भी मावजत हो पाई।जैसे भूकंप के बाद कच्छ के अलग पहचान बनी वैसी ही बनासकांठा अपनी नई पहचान बना पायेगा।
#आफत एक अवसर
#सन्मान GCERT
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