माँ
माँ...
एक ऐसा शब्द जो हर किसीने बोला होगा!मेरी माँ...आप की माँ!माँ का कोई विकल्प नहीं हैं!
मेरे एक दोस्त हैं!
कुछ महीनों पहले उनकी माँने मुझे बहोत डांटा!वो उनकी जगाह पे सही थी!उन्होंने जो देखा,सुना और महसूस किया होगा!वो अपनी जगह सही हो सकती हैं!आज तो कोई हालात नहीं हैं, कि में उन से बात करुं!मगर उन्हें में एक बार मिलूंगा! उन के सामने में मेरी बात रखूंगा!मुझे यकीन हैं कि मेरी बात सुनके वो शायद समज पाएं!हो सकता हैं उनका मेरी तरफ नजरिया बदल जाएँ!कुछ भी न हुआ तो मुझे संतोष होगा की मेने उनसे मेरी बात पहुंचाई!
आज आप से में बात करने वाला हूँ इस फोटोग्राफ के लिए!मेरे दोस्त की माँ!
समजो मेरी ही माँ !
इस चित्र में दिखाई पड़ने वाली माँ जैसी हालत उनकी हैं!उनके हाथ नहीं हैं! वैसे तो उनके हाथ हैं मगर छोटी उम्र में विधवा होनेकी बजह से आज कह सकते हैं उनके हाथ नहीं हैं!गोर से देखो,माँ के हाथ नहीं हैं!वो जो काम करती हैं उसमें हाथ के साथ उंगलीयां भी चाहिए!
बस, वैसे ही उनकी उंगलियां और हाथ उनके पति के छोटेभाई आजभी उनके सहयोगमें हैं!पारिवारिक मेलमिलाप अच्छा हैं!फिरभी जैसे इस चित्रमे स्पस्ट नहीँ होता की औरत आगे काम कैसे करती होगी!वैसे ही में समझता हूँ की में स्पस्ट नहीं हो सकता कि जब में उन्हें मिलूंगा तब मुझसे कैसे पेश आएगी!
मुझे यकीन हैं!
Be The change...
मगर, वो सही हैं!उनकी जगह में भी होता, उनकी तरह में भी सही होता!वैसे भी बड़े कभी गलत नहीं होते।उन्हें सही बातका अंदाज नहीं होने पर हमें उन्हें बात समजानी या जतानी पड़ती हैं!
आज आप से में बात करने वाला हूँ इस फोटोग्राफ के लिए!मेरे दोस्त की माँ!
समजो मेरी ही माँ !
इस चित्र में दिखाई पड़ने वाली माँ जैसी हालत उनकी हैं!उनके हाथ नहीं हैं! वैसे तो उनके हाथ हैं मगर छोटी उम्र में विधवा होनेकी बजह से आज कह सकते हैं उनके हाथ नहीं हैं!गोर से देखो,माँ के हाथ नहीं हैं!वो जो काम करती हैं उसमें हाथ के साथ उंगलीयां भी चाहिए!
बस, वैसे ही उनकी उंगलियां और हाथ उनके पति के छोटेभाई आजभी उनके सहयोगमें हैं!पारिवारिक मेलमिलाप अच्छा हैं!फिरभी जैसे इस चित्रमे स्पस्ट नहीँ होता की औरत आगे काम कैसे करती होगी!वैसे ही में समझता हूँ की में स्पस्ट नहीं हो सकता कि जब में उन्हें मिलूंगा तब मुझसे कैसे पेश आएगी!
मुझे यकीन हैं!
Be The change...
मगर, वो सही हैं!उनकी जगह में भी होता, उनकी तरह में भी सही होता!वैसे भी बड़े कभी गलत नहीं होते।उन्हें सही बातका अंदाज नहीं होने पर हमें उन्हें बात समजानी या जतानी पड़ती हैं!
हा...
माँ तो सिर्फ माँ हैं!कोई विशेषण उसके आगे नहीं टिकता!आज से 22 साल पहले,में बिमार पड़ा था!दीमाग से जुडी बिमारी थी!मुझे याद हैं,मुझे मेरी माँ ने पढ़ाया!
बीमारी के कारण कक्षा एक से 10 का में भूल चुका था!PTC(अध्यापन कॉलेज)में 1 से 7 का पाठ्यक्रम था!वो सारा एक साथ दो सालमें मेने फिरसे मेरी माँ से सीखा हैं!जब में बीमार था तब से आज तक मेरी हर गलती को मेरी माँ ने स्वीकार किया हैं!आज में मेरी माँ को स्पस्ट करता हूँ की मेरी कोई गलती तुजे बेचेंन कर गई हो तो मुझे माफ़ करें!में उन्हें या किसी की भी माँ को शर्मिंदगी महसूस नहीं होने दूंगा!
जो में भूल चुका था मुझे एक साथ एक साल में मुझे पढ़ाया!
बीमारी के कारण कक्षा एक से 10 का में भूल चुका था!PTC(अध्यापन कॉलेज)में 1 से 7 का पाठ्यक्रम था!वो सारा एक साथ दो सालमें मेने फिरसे मेरी माँ से सीखा हैं!जब में बीमार था तब से आज तक मेरी हर गलती को मेरी माँ ने स्वीकार किया हैं!आज में मेरी माँ को स्पस्ट करता हूँ की मेरी कोई गलती तुजे बेचेंन कर गई हो तो मुझे माफ़ करें!में उन्हें या किसी की भी माँ को शर्मिंदगी महसूस नहीं होने दूंगा!
जो में भूल चुका था मुझे एक साथ एक साल में मुझे पढ़ाया!
आज जो भी हूँ!माँ से हूँ!मेरा जन्म लेना ही,मेरी माँ का मुझपे उपकार हैं!क्या आप से जुडी कोई आप की कहानी हो तो आप मुझे भेजे!
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