आहार...








मांसाहारी और शाकाहारी!एक बड़ी चर्चाका विषय हैं।मेने पहले भी इसके बारे में लिखा हैं!मेने पहले लिखाथा क्या खाया नही,खाया की नहीं ये सवाल महत्वपूर्ण हैं!दोनों में अंतर हैं!क्या खाया?क्यों खाया!

मोज शोख ठीक हैं!आप ऐ बतावो की क्या इतना अनाज हम पैदा कर पाएंगे कि सभी शाकाहारी हो जाय!

आहार को सिर्फ आहार के रूपमें देखा जाना चाहिए!शाकाहार,मांसाहार,त्रुनाहार और समुद्री फल !कई बातें हैं!कई लहजे हैं!सवाल हैं कि क्या होना चाहिए!एक फेमिली रेस्टोरॉन्टमे पार्टी करती हैं तो साऊथ,पंजाबी,चायनीज या कुछ और मंजवाएंगे!उसी परिवार का जिसने उसदिन होटल में इडली मंगवाईथी उसे अगर बैंगलोर जॉब लगेगी तो वो नहीं जायेगा!
कहेगा...खाना ठीक नहीं!तो क्या महाशय आपने खाने के लिए पढ़ाई की थी?

अरे...खाना जिन्दा रहने के लिए हैं!आज मांसाहार से बात शुरू हुई तो शाकाहारी और मांसाहारी की शरीर रचनामें क्या भेद हैं वो भी देखते हैं !

ध्यान रहे,परमपिता परमात्मा ने प्राणियों के आहार का निर्धारण उनके शरीर की विशेष संरचना बनाकर किया है।


मांसाहारी और शाकाहारी प्राणियों के शरीर की रचना में परमात्मा ने किस प्रकार भेद किया है!

शाकाहारी–प्राणियों के मुख म़े दाढ़े होती हैं जिसे वे अन्न को चबा कर पीस देते हैं। दांतों में अंतर नहीं होता।
मांसाहारी:प्राणियों के मुख के अग्र भाग में तीक्ष्ण नुकीले दो दांत किल्ले रुप में होते हैं उनके दाढ़े नहीं होने से यह मांस रुपी भोजन को सीधा सटकते हैं,पीसकर नहीं खाते तथा दांतों में भी अन्तर होता है।

शाकाहारी: प्राणी होंठ से पानी पीते हैं।
मांसाहारी:जीभ से चाट-चाट कर(चप चप करके) पानी पीते हैं।

शाकाहारी:इनकी संतान की आंखें पैदा होते ही खुलती हैं,बंद नहीं रहती।
मांसाहारी:इनके बच्चों की आंखें पैदा होने पर बंद रहती हैं,जो 2-3-4 दिनों बाद खुलती हैं।

शाकाहारी:तीक्ष्ण नाखून नहीं होते
मांसाहारी:पंजों पर नाखून तीक्ष्ण व नुकीले होते हैं

शाकाहारी:आंतों की लम्बाई उनके शरीर से 8 से 10 गुना बड़ी होती है।
मांसाहारी:आंतों की लम्बाई कम होती है,कारण? मांस आंतों में ज्यादा समय न रहे।

शाकाहारी:लीवर व पित्ताशय छोटा होता है।
मांसाहारी:लीवर व पित्ताशय शरीर के परिमाण से बड़ा रहता है।

शाकाहारी:अंधेरे में पूर्णतः नहीं देख सकते।
मांसाहारी:अंधेरे में स्पष्ट दिखायी पड़ता है।

शाकाहारी:पसीना पूरे शरीर से आता है।
मांसाहारी: पसीना सिर्फ जीभ से आता है

शाकाहारी:इनका रक्त क्षारयुक्त होता है।
मांसाहारी:इनका रक्त अम्लयुक्त होता है।


परमात्मा ने सर्वश्रेष्ठ मानव प्राणी को शाकाहारी ही बनाया है

मनुष्य स्वभावतः शाकाहारी है,मांसाहार एक गलत आदत है
प्रकृति के नियमो के विरुद्ध कार्य न् करे , मनुष्य की प्रकृति शाकाहार है अतः शाकाहारी बने!जरूरत न होने से पहले मांसाहार न करे!

आजकल मेडिकल में भी मांसाहार हैं!आप के शरीर को अगर आवश्यकता हैं तो आप को मांसाहार करनाही चाहिए!में यह नही कहता की जीव हत्या हो।मेरा कहनेका मतलब हैं कि जो मृत्यु प्राप्त कर चुके हैं उनके बारेमें ही सोचे!अगर मेरा उपरोक्त पेरेग्राफ पढके जिन्होंने अपने मुख की सुंदरता को छोड़ा हैं वो यह अवश्य पढ़ें!

में डीसा से हूँ!
यहाँ आलू का उत्पादन हैं।
मेने सुना हैं कि आलू को काट गए तो ही दूसरा आलू उत्पन होगा!काटने के बाद भी आलू जिन्दा हैं।फिरभी शाकाहार!जीव हत्या के बारे में भाषण करने वाले आलू,गाजर,मूली को जीव नहीं मानते हैं!

आलू काटने के बाद भी जिन्दा हैं!वो चिल्लाता नही इस लिए जिव नही?मांसाहार के बारे में बोलने वाले अब ये बोलेंगे की जो नहीं चिल्लाते ऐसे जीवोंकी ही हम रक्षा करेंगे!अगर आप आलू को सजीव मानते हैं तो ही बकरे को सजीव मानो।गुजरात में ही हमने सुना हैं कि 56 के काल में माँ  आने मरे हुए बेटेकी लाश से मांस खाती थी!
फिर से कहूंगा जिन्दा रहने के लिए ही खाने की आवश्यकता हैं!आप अपनी राय मुझे अवश्य भेजे...!

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