IGNIT एंथम....



कुछ महीनो पहले हमने गुजरात में एक कार्य शाला का आयोजन किया!युवा ग्रीन फ़ौंडेशन और कावेरी दे केर स्कुल के सहयोग से ऐ संभव हुआ! अमदावाद या किसी बड़े शहर को छोड़ के नॅशनल क्रिएटिव वर्क शॉप का आयोजन किया! 17 राज्यों के 300 से अधिक बच्चे यहाँ आये थे!इस कार्य शलाका महत्त्व भी इस लिए था की सृष्टी इनोवेशन और हनी बी नेटवर्क हमसे जुड़े थे!

इस कार्य शाला के समारोह के लिए हमने जरा हटा के काम किया था!हमारे लिए बड़ी बात ये थी की हमने बच्चो के लिए एक गाना तैयार करना था! एक बार हमे कहा गया था की ऐसा कोई गाना हो!डॉ.अनिल गुप्ता सर ने दो साल पहले जाहिर किया हुआ विचार अब हम अमल कर रहे थे!डॉ.अनिल गुप्ता सर के मार्गदर्शन से एक गाना बनाने के बारे में सोचा! यह गाना केसा हो उस के बारे में सोचा!
सोचेंगे हम सोचेंगे...(U ट्यूब)


                          सोचेंगे हम सोचेंगे,
                         नई राह को पाएंगे !(2)

देखेंगे समजेंगे,नये तरीके खोजेंगे!(2)
नये दोरमे समजेंगे,
नई सोच फेलायेंगे ! (2)

सोचेंगे हम सोचेंगे,
नई राह को पाएंगे !(2)

आई नही  we, में नही  हम !*

नव विचार से सर्जन होगा, 
नये भारत को सजाना होगा!(2)

समझ को अपनी बढ़ाएंगे,
नया सवेरा लायेगे !(2)

सोचेंगे हम सोचेंगे,
नई राह को पाएंगे !(2)

थोडा बहोत तैयार किया!इस गाने के बारे में सृष्टी के सहयोगी श्रीमती नीपा भट्ट  को सुनाया! इस गाने को कलाम सर से हम जुड़ना चाहते थे!इसके आलावा अगर इग्नाईट एवोर्ड में कलाम सर का नाम जुडा हैं तो इग्नाईट एंथम में भी होना चाहिए! हमे अब्दुल कलाम सर के नाम के बगेर गाना अधुरा लगता था!



में नही हम, आई नही We.

कलामजी के पथ पे हम,
कलाम पंख से उड़ेंगे!

जीवन के हर सपनोमे
ध्येय उसीको बनाएंगे!(2)

सोचेंगे हम सोचेंगे,


नई राह को पाएंगे !(2)

हमारे साथी नीपा भट्ट ने उसमे फेर बदल किया!ऐ गाना डॉ.अनिल गुप्ता सर के विचार से प्रभावित होना ही था!मेने आगे कहा ऐसे प्रारंभिक तोर पे कुछ तैयार शब्द जो मेने लिखे थे नीपा जी ने उसमें कुछ जोड़ा!उन्हों ने उस गाने को सराहा ,सुशोभित किया! 

एक नया अंतरा जोड़ ने से दोनों अन्तरो को भी किसी तरह से जोड़ना चाहते थे!पहले मेने आई नही  we, में नही  हम' लिखा था! उसे उल्टा करके दुसरे अंतरे से जोड़ दिया गया!अब दूसरे अंतरे से में नही हम, आई नही We.  लिखा!अब गाना अच्छा दिखता था!जेसे की महेसुस होता था!

हमारी टीम को रेकोर्डिग से पहले रिहर्सल करना था!कोई अहमदाबाद से आता था!कोई गांधीनगर से आता था!कोई बच्चे कई दूसरी जगाह पढ़ रहे थे!सभी को एक साथ बुलाने में और पूरा जुगाड़ करने में मेरे साथी और सहयोगी श्री के.वी.पटेल और उनके युवा ग्रीन फाउन्डेशन का सहयोग प्राप्त हुआ!युवा ग्रीन फाउन्डेशन के सहयोग से हमने रिहर्सल और रेकोर्डिग  किया!दो सर्जको से बना ऐ गाना मेने कोम्पोज किया!श्री आशुतोष दवे (ओमकार संगीत)ने उसे सराहा,नया आकार दिया!उसे संगीत से सराहा गया कुछ नया जोड़ा गया!शब्द और संगीत को साथ में जोड़ा गया!! महेसाणा में उसका रेकोर्डिंग हुआ!श्री सागर रायका जैसे स्थानीय मगर प्रसिध्ही प्राप्त आर्टिस्ट ने रेकोर्डिंग किया!बच्चो के साथ काम करने में हमे ख़ुशी हुई!

इस दिन के पुरे कार्य को श्री के.वि.पटेल सर और अन्य साथियों के आलावा युवा ग्रीन फाउन्डेशन ने बहोत सहयोग दिया! श्री के.वी.पटेल और उनके फाउंडेशन के सहयोग के बिना यह काम हो नही सकता था!हमारे सभी कलाकार एक साथ जेसे पारिवारिक कार्य में जुड़े हो इस तरह से जुड़े!और एक अच्छा गाना तैयार हुआ!समग्र भारत के क्रिएटिविटी वर्कशॉप में, कार्य शाला में ऐ गाना बजता हैं! टीम गुजरात और टीम सप्तरंगी फाउन्डेशन के सभी सहयोगियो को में आभार व्यक्त करता हूँ!

आप इस गाने को यु ट्यूब पे भी देख सकते हैं!हमारे युवा साथी और डोक्युमेंट टीम के कन्वीनर निशांत ने उसे यु युब पे लगाने से पहेले तैयार किया!इस गाने से किसी भी प्रकार से जुड़े हुए साथियों ने हमें सहयोग दिया और फोटो ग्राफ भेजे!आज हम उसे आप के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं!आप ते गाना यहाँ क्लिक करके   सुन सकते हैं 

सर्जन:नीपा भटट  और भावेश पंड्या
कोम्पोजीशन: भावेश पंड्या और आशुतोष दवे संगीत: आशुतोष दवे और चन्द्रकान्त प्रजापति 
गायक:

रुचा पंड्या...चार्मी भट्ट...जनेश सोनी...यात्री भट्ट...गायत्री सोनी...आरती शर्मा...नीपा भट्ट

रेकोर्डिंग स्टूडियो:महेसाणा 

                               सोचेंगे हम सोचेंगे...
                                                               (इग्नाईट एंथम)
नई राह को पाएंगे !(2)

देखेंगे समजेंगे,नये तरीके खोजेंगे!(2)
नये दोरमे समजेंगे,
नई सोच फेलायेंगे ! (2)

सोचेंगे हम सोचेंगे,
नई राह को पाएंगे !(2)

आई नही  we, में नही  हम !*

नव विचार से सर्जन होगा, 
नये भारत को सजाना होगा!(2)

समझ को अपनी बढ़ाएंगे,
नया सवेरा लायेगे !(2)

सोचेंगे हम सोचेंगे,
नई राह को पाएंगे !(2)

में नही हम, आई नही We.

कलामजी के पथ पे हम,
कलाम पंख से उड़ेंगे!

जीवन के हर सपनोमे
ध्येय उसीको बनाएंगे!(2)

सोचेंगे हम सोचेंगे,
नई राह को पाएंगे !(2)

*सर्जक:-*

डॉ. भावेश पंड्या
(गुजरात)

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