तेजबहादुर से तेज सोसियल मिडिया


हमारा देश लोकतान्त्रिक देश हैं!विश्व में सबसे बड़ी लोकशाही हमारे देश में हैं! जब भारत का सामान्य चुनाव होता हैं तब विश्व के सबसे अधिक मतदार मतदान करते हैं!हमारे देशमें सभी नागरिको को विचार और वाणी स्वतंत्रता का अधिकार मिला हैं!कोई कुछ भी बोल सकता हैं! आज कल सोसियल मिडिया में ऐसे निवेदन आ रहे हैं!कभी नेताओ के बारें में तो कभी कोई व्यवस्था के बारें में!कई बार तो हम सोचे समजने के अलावा इसे सिर्फ फोरवर्ड करते हैं!

आधुनिक समय में सोसियल मीडिया में कुछ ऐसा दिखता हैं की हम सिर्फ उसे मजाक में ले लेते हैं!यहाँ एक जानकारी देना चाहूँगा की अपने देश में एक बार इमर्जन्सी लगी थी!समग्र देश के सभी विपक्षी नेताओ को जेल में बांध करदिया गया था!उस वख्त कोंग्रेस की सरकार थी!श्रीमती इंदिरा गाँधी प्रधानमत्री थी!इस बात को लेके आज भी राजकीय नेता और पक्ष अपनी बाते करते हैं!उस वख्त ऐसा था!आज ऐसा हैं!मगर एक बात तय हैं की आज एक नया शब्द मिला हैं!इस शब्द को हम सोसियल मिडिया के नाम से जानते हैं!आज भारत में जनसँख्या से अधिक सिमकार्ड उस हो रहे है!

आज ये बात करने का एक अलग अंदाज है! अलग विचार हैं!कुछ दिन पहले एक समाचार मिला हैं!तेज बहादुर नाम के एक सिपाही की यहाँ बात हैं!उन्हों ने खाने के बारेमें शिकायत की थी!उनकी शिकायत में उन्होंने कहा था की हमें खाना अच्छा नहीं मिल रहा हैं!उसने फोटो और वीडियो वायरल किया था!उसने यह विडिओ प्रधानमत्री को शेर किया था!बात चली!भारत सरकार के गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने तुअरांत कारवाही की!चीफ सेक्रेटरी ने इसकी रिपोर्ट बनाई और तेज बहादुर को सस्पेंड किया गया!रिपोर्ट में तेज बहादुर को अनुशाशन हीनता के लिए जिम्मेदार मना गया!बीएसएफ ने अपना एक निवेदन जारी किया!

यहाँ तक अगर देखा जाए तो एक प्रोसेस हैं!फ़रियाद,उसके आधार पर तपास और रिपोर्ट को देखने के बाद निर्णय या सजा!ऐसी प्रोसेस में कोई विरोध नहीं हैं!यहाँ में एक बात पूछूँगा की क्या आपने कभी संसद की केंटिन में खाया हैं!जितने पेसे हम भिखारी को देते हैं सिर्फ उतने पेसो से हमारे गरीब संसद सदस्य केंटिन में खाना खाते हैं! आज बाजपा की सरकार हैं!इस से पहेले किसी और की सरकार थी!आगे भी सरकारे आएँगी मगर बदलेगी!ऐ जो सिपाही तेज बहादूर हैं उसको निलंबित किया गया हैं!सही बात ये हैं की सरकार ने अपने खिलाफ आवाज को दबाने की कोशिश की हैं!इस से पहेले हमारे पुलिस और ऐसी फ़ोर्स के कई जवान मानसिक रूप से परेह्सं हो के आत्महत्या कर चुके हैं!इस वख्त क्यों जिम्मेदार अधिकारी को निलंबित नहीं किया जाता!हमें मरने से बचने वाला सिपाही अगर मरता हैं!किसी का नाम लिख के मरता हैं!उस के खिलाफ न कोई जांच होती हैं न कोई सवाल!बात ये हैं की आज से पहेले भी तेज बहादुर अपनी शिकायत कई बार कर चूका हैं!उसको इतना परेशां किया गया हैं की उसने विआरएस के लिए भी अरजी दे राखी हैं!

कुछ साल पहले की बात हैं!हमारे मिडिया कर्मी जो भी बात चलाते हैं!लोग इसे भूल जाते हैं!थोड़ी बहोत चर्चा होती हैं!आज से कई साल पहले बोफोर्स का गोताला आया था!इसे ऐसे उठाया की दूसरे चुनाव में राजिव गाँधी की सरकार बुरी तरह से हारी!मिडिया ने वाह वाही करली!थोड़े सालो बाद जब कारगिल युध्ह हुआ!हम जीते अटल बिहारी बाजपाई जी उस वख्त प्रधानमंत्री थे!उस चुनाव में उन्हों ने कारगिल की जित को केश करना चाह!हाला की शाइनिंग इण्डिया नहीं चला!मगर पाकिस्तान से जो हम जीते थे उसमें बोफोर्स के ही तोप थे जिस की बजह से हम युध्ह जीते थे!

हमारे सिपाही जो बोर्डर पे लड़ते हैं उनके लिए बखतर ख़रीदे गए यहे!समाजवादी नेता ज्योर्ज फर्नाडिस हमारे रक्षा मंत्री थे!उस समय किसी ने कहा ‘यह बख्तर सही  नहीं हैं!इस की खरीदी में गफला हुआ हैं!मिडिया में बात आई!किसीने पैसा खाया,किसी ने खिलाया!ऐ बात बांध हुई!थोड़े समय बाद किसी पाकिस्तानी हमले में हमारे सिपाही वोही बखतर लेके सामने से आने वाली गोली का इन्तजार कर रहे थे!मगर वो बख्तर ऐसा था की  गोली रुक ने के बजाय आरपार चली गई!इस बख्तर के भरोसे कई सिपाही शहीद हुए!उसकी खरीदी करने वाले नेता और अधिकारी को क्या हुआ!कहा गए हमारे सोसियल एक्टिविस्ट?

अब फिर से तेज बहादुर की बात पे आते हैं!उन्हें निकला गया!सही गलत की बात नहीं हैं!यहाँ बात हैं हमारे मिडिया की!ख़ास कर के सोसियल मिडिया में सक्रीय रहने वाले कई लोग इस से कोमेंट करने लगे!किसी ने लिखा की ‘घर में खाने के बारें में जबान न चलाए!नेता न बने वरना निकल दिए जाओगे!यह गलत हैं!क्या हम इस गंभीर मुद्दे को मजाक में लेंगे!क्या हमारे लिए घर परिवार छोड़ने वाले सिपाही को खाना अच्छा नहीं मिलना चाहिए?

इस बात को दो तरीको से देखते हैं!एक तो ये की तेज बहादूर का जो भी हुआ!इसे हमें एक सरकारी तंत्र के आधार पे समजना चाहिए!दूसरा ये की सिर्फ मजा लेने के लिए हमें ऐसे कोमेंट नहीं करने चाहिए!क्यों...सिर्फ लैक इकठा करना हमारा मकसद हैं!क्या हम कभी हमारी बहन के फिगर के बारेमें कोमेंट करते हैं!क्या हम कभी अपने माँ बाप के बारें में कुछ ऐसा लिखेंगे की जो मजाक बने!क्या तेज बहादुर को मालूम नहीं होगा की उस के उपरी अधिकारी के बारें में वो प्रधानमंत्री को कुछ बताएगा तो प्रधान मंत्री या गृह मंत्री खुद इन्क्वायरी नहीं करेंगे और इसे गुनहगार ठहराया जायेगा!आप सोचभी नहीं सकते की क्या बीती होगी उस परिवार में जिस ने सालो तक अपनी परिवार की जिम्मेदारी छोड़ के देश की सेवा की!क्या उसे ये बदला देना या तेज बहादुर की बात की मजा लेना सही हैं!


आज तो ऐ बात आप तय करें की देश के सिपाही,ऑर्ट और शिक्षा से जुड़े किसी भी मुद्दे को मजाक न बनाया जाए!जब तक ऐसा होगा हम हमारी जिम्मेदारी चुके ऐसा कहा जायेगा! आज से हम संकल्प करें की जिससे हमारे देशवासी ऐसी कोई कोमेंट करें तो हम उसे बढ़ावा न दे!और ऐसी जानकारी को न फेलाए! 

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