हम और हमारे बच्चे...

हम ये जानते हैं!
हम वो भी जानते हैं!
क्या हम ये जानते हैं की अच्छे ,अत पिता केसे होने चाहिए?इस के लिए एक नया विचार किसी ने अमली किया हैं! दादा जी के नाम से वो सवाल के जवाब देते हैं!बहोत अच्छी लिंक मुझे मेरे साथी ने भेजी!मेने उसको देखा!मुझे लगा उसे और भी फेलाना चाहिए!आज में आप को शेर कर रहा हौं!आप भी यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं!आप कोई भी सवाल करो!दादा जी आपको जवाब देंगे!यहाँ आप को एक सेम्पल भी देखने के लिए भेज रहा हूँ!

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प्रश्नकर्ता: यहाँ अमरीका में पैसा है, लेकिन संस्कार नहीं हैं और यहाँ आसपास का वातावरण ही ऐसा है, तो इसके लिए क्या करें?
दादाश्रीपहले तो माता-पिता को संस्कारी बनना चाहिए। फिर बच्चे बाहर जाएँगे ही नहीं। माता-पिता ऐसे हों कि उनका प्रेम देखकर बच्चे वहाँ से दूर जाएँ ही नहीं। माता-पिता को ऐसा प्रेममय बनना चाहिए। बच्चों को अगर सुधारना हो तो आप ज़िम्मेदार हो। बच्चों के साथ आप फज़र् से बँधे हुए हो। आपको समझ में नहीं आया?
अपने लोगों के बच्चों को बहुत उच्च स्तर के संस्कार देने चाहिए। अमरीका में कईं लोग कहते हैं कि ‘हमारे बच्चे मांसाहार करते हैं और ऐसा बहुत कुछ करते हैं।’ तब मैंने उनसे पूछा, ‘आप मांसाहार करते हो?’ तो बोले, ‘हाँ, हम करते हैं।’ तब मैंने कहा, ‘फिर तो बच्चे भी करेंगे ही।’ आपके ही संस्कार! और अगर आप नहीं करते तो भी वे कर सकते हैं, लेकिन दूसरी जगह। लेकिन आपका फज़र् इतना है कि अगर आपको उन्हें संस्कारी बनाना हो तो आपको अपना फज़र् नहीं चूकना चाहिए।
अब बच्चों का आपको ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा-वैसा, यहाँ का खाना न खाएँ। और यदि आप खाते हों तो अब यह ज्ञान प्राप्त होने के बाद आपको सब बंद कर देना चाहिए। अत: जैसे वे आपके संस्कार देखेंगे वैसा ही करेंगे। पहले हमारे माता-पिता संस्कारी क्यों कहलाते थे? वे बहुत नियमवाले थे और तब उनमें संयम था। और ये तो संयमरहित हैं।
प्रश्नकर्ता: जब बच्चे बड़े हो जाएँ, तब हमें उन्हें धर्म का ज्ञान किस तरह देना चाहिए?
दादाश्री: आप धर्म स्वरूप हो जाओ, तो वे भी हो जाएँगे। जैसे आपके गुण होंगे, बच्चे वैसा ही सीखेंगे। इसलिए आप ही धर्मिष्ठ हो जाना। आपको देख-देखकर सीखेंगे। यदि आप सिगारेट पीते होंगे, तो वे भी सिगारेट पीना सीखेंगे। आप शराब पीते होंगे तो वे भी शराब पीना सीखेंगे। माँस खाते होंगे तो माँस खाना सीखेंगे। जो आप करते होंगे वैसा ही वे सीखेंगे। वे सोचेंगे कि हम इनसे भी बढ़कर करें।
प्रश्नकर्ता: अच्छे स्कूल में पढ़ाने से अच्छे संस्कार नहीं आते?
दादाश्री: लेकिन, वे सब संस्कार नहीं हैं। माता-पिता के सिवा बच्चे अन्य किसी से संस्कार प्राप्त नहीं करते। संस्कार माता-पिता और गुरु के, और थोड़ा-बहुत उसका जो सर्कल होता है, फ्रेन्ड सर्कल उसके, उसके संयोग। संस्कार मित्रों तथा आसपास के लोगों से मिलते हैं। सबसे अधिक संस्कार माता-पिता से मिलते हैं। माता-पिता संस्कारी हों, तो बच्चे भी संस्कारी बनते हैं वर्ना संस्कारी होंगे ही नहीं।

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