धारा ३७० में क्या हैं ?


कश्मीर हमारा था...हमारा हैं...और उमर अब्दुल्ला कश्मीर हमारा ही रहेगा...

‘’कुछ तो लोग कहेंगे.लोगो का काम हैं कहेना!’’ जब कोई बात बनती या बिगड़ती हैं तब निवेदन शुरू हो जाते हैं !ज्यादातर राजनेता दिवेदन करनेमे सबसे आगे होते हैं !उनके कई फोलोअर होते हैं !हमारे देशमे कई साडी पार्टी हैं !उसमे बहोत सरे नेताजी है !नेता पहेले भी थे, और आज भी हैं !हा उसमे बहोत फर्क महेसुस होता हैं !में कभी राजकीय चर्चा मेरे ब्लोगमें नहीं करता !मगर आज एक ऐसा निवेदन पढ़ा की मुझसे रहा नहीं गया !मेरे सभी दोस्त और मेरा लिखा पढनेवाले सभी की क्षमा के साथ में यहाँ कुछ लिखता हू!

जम्मु कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ! उनके वालिद भी इस प्रान्त के मुख्यमंत्री रह चुके हैं !भारतके सविधानमें कश्मीर को अलग से अधिकार दिए गए हैं !आज़दिके समय कुछ नेताओ की गलती हम आज भी भुगत रहे हैं!उन्होंने एक बार फिर से भाजपा के खिलाफ आग उगली है !वो राजकीय नेता हैं!पहले ही मेने लिखा की नेताजी ओ का कर्म ही निवेदन करना हैं.!उन्होंने भाजपा के लिए यह निवेदन किया हैं.!मुझे दिक्कत ये नहीं हैं की उन्होंने निवेदन किया हैं!मुझे दिक्कत ये हुई की उनका निवेदन कुछ अलग अंदाज में था !

उन्होनें साफ साफ शब्दों में कहा है के अगर भाजपा धारा 370 व कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्ज को हटाने की कोई भी कोशिश करती है तो हमारी लाशों पर से से गुजरना होगा !मुझे मालूम है वह तक भाजपा का एक बार चुनावी सूत्र था,”३७० कलम हटाएगें-३७० कमल लाएंगे !पिछले कई सालोमे भाजपा के एजन्दमे यह बात हैं!उनको ऍनडीए की गठजोड़ वाली सरकार चलानेका मोकभी मिलथा !बाजपाई जी प्रधानमंत्री थे !आज जब मिडी जी  आगे बढ़ रहे है तब फिर से यह बात अब्दुल्लाने उठाई हैं!इससे फायदा भाजपा को ही होगा ! हा,कश्मीरी राजनीती में अब्दुल्ला को इस बयां से फायदा हो सकता हैं !कई सालो से अपने एजंडे में ३७० बाजप ने रखही हैं !
आज जब लोक सभा चुनाव सरपर हैं,तब लोग बोलते हैं और सुनते है..!कई को तो मालूम भी नहीं है की ३७० की बात में क्या है.!
धारा 370 के मुताबिक :-

धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने काअधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित क़ानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।

इसी विशेष दर्जें के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। मतलब ये की राज्य  व्यवस्था बिगड़ने पर भी यहाँ राष्ट्रपति शासन लागु नहीं  हो सकता. इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बरख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।

1976
का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
इस कानून के तहत ,भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कही भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते हैं।


भारतीय संविधान की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती। उनकी सुरक्षा और बाकी सभी जिम्मेदारी उठाने में आपके और मेरे पैसो से ही यहाँ सब कुछ होता हैं !हमारे सैनिक ही यहाँ शहीद होते है !उम्र और उनके वालिद कई बार ऐसे मुद्दे छेड़ के अपनी  वोट बेंक तरोताजा करते हैं! मगर
अपना ही अलग संविधान बना रहे वोही उनको पसंद हैं..!
अब आप बताओ. इस ३७० को हटाने की मांग अगर होती है तो इसमें गलत क्या है ?
क्या जम्मु कश्मीर भारत का अंग नहीं है , क्यों हम वहां भारतीय कानुन की पैरवी नहीं कर सकतेक्यों वहां भारत का आम नागरिक किसी भी तरह की जमीन नहीं खरीद सकता !

मेरा यह लिखनेका मतलब ये कतेई नहीं हैं की में भाजपा का प्रचार करु ! में तो बस हमारे स्वर्ग में हमारा पूर्ण शासन आये इस लिए ही यहाँ मेरे विचार लिखे है.!हा,ये सही बात है की बाजप के ही नेताओ ने जम्मू कश्मीर में पहली बार आपना त्रिरंगा फहराया था !आप सोच ही सकते है की जहा त्रिरंगा फहराने में इतनी दिक्कते आई थी वहा हमारे सविधान की हालत क्या होगी.


Comments

lata said…
I m fully agree with U. this is totally wrong.

Lata

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